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________________ १४ तेमना नगरप्रवेश महोत्सवमां एकठा थया हता. ' आ एकज दाखला उपरथी पाटणना जैनोनी संख्यानो अने तेमनी समृद्धिनो ख्याल आवी जशे. कुमारपाल पछी पाटणनी राज्यगादीए आवेला अजयपालना वखतथी पाटणना जैनोनी अने साथे ज राज्यनी अवनतिनो पायो नंखाणो. अजयपाले घणा खरा जुना जैन मंत्रिओने पदभ्रष्ट कर्या अने केटलाकोने भयंकर शिक्षाओ करी. खास करीने कुमारपालना मरजीदान मनुष्योने अज यपाले मारे बात आप्यो, २ कुमारपालनां पुण्यकार्योंनो तेणे बन्युं तेटलो नाश कर्धो, पण आवां अधम कामो घणा काल सुधी करवाने ते जन्म्यो न हतो, राज्याभिषेकने श्रीजे ज वर्षे अजयपालनु तेना एक नोकरना हाथे खून थयुं अने त्यार पछी धार्मिक विप्लव बंध थयो, राज्यकारभार पण पाछो नियमित थइ गयो पण सिद्धराज अने कुमारपाले जे गुजरातना राज्यनी हद वधारी चौलुक्य राजाओनी सार्वभौम सत्ता स्थापन करो हती, ते लांबो काल टकी शकी नहिं. जे कमथी पाटण अने तेना राजाओनी सत्ता दिवसे दिवसे वधी हतो ते ज क्रमथी घटवा लागी, अजयपालना वखतथी 9 आ हकीकत हिन्दी कुमारपाल चरितनी प्रस्तावनामां जोवी. २ हेमवन्द्रसूरिना शिष्य रामवन्द्र, मंत्री कपर्दी आदि हेमचन्द्र ने कुमारपालना मानीता पुरुषोने अजयपाले केवी भयंकर शिक्षाओ करी हती ते प्रबन्ध चिन्तामणिमां चौलुक्य राजाओनो इतिहास जोवाथी जणाशे.
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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