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________________ के साथ अभिव्यक्ति की क्षमता अनुवादक के लिए आवश्यक है। इसके अतिरिक्त धर्मगुरु के जीवन चरित्र के अनुवादक के पास धर्म विषयक ज्ञान तथा श्रद्धा का भी योग हो ता सेने में सुगन्ध समझिये। इन सब योग्यताओं की दृष्टि से प्राध्यापक बाबूलाल टी. परमार एम. ए. साहित्यरत्न को सर्वथा सक्षम देखकर उन्हें 'आगमधरसरि' (मूल गुजराती), ग्रन्थ के हिन्दी अनुवाद का कार्य सौंपा गया। आप सूरतके एम. टी. बी. कॉलेज में पिछले सत्रह वर्षों से हिन्दी-अध्यापन (का कार्य कर रहे है। आपने 'अनेकान्त व स्याद्वाद' नामक अन्य का हिन्दी अनुवाद किया है और 'जैन धर्म सार' के हिन्दी तथा अंग्रेजी अनुवादा का शुद्धीकरण भी किया है। 'आगमधरसूरि' के प्रस्तुत अनूदित संस्करण के लिए प्राध्यापक महोदय का जितना आभार माने उतना कम है। आपने न केवल सुव्यवस्थित, सुन्दर, परिष्कृत हिन्दी में अनुवाद किया है, अपितु उसके प्रूफ-संशोधनादि का कार्य भी पूरी लगन के साथ निभाया है। ऐसे परिश्रमजन्य तथा दीर्घ समय माँगनेवाले कार्य को आपने सर्वथा निःस्वार्थ भाव से कोई पारिश्रमिक लिए बिना सम्पन्न किया है, अतः हम आपकी त्याग भावना की हृदय से सराहना करते हैं। ५० पू० आगमोद्धारक आचार्य देव श्री आनन्दसागरसूरीश्वरजी महाराज के शिष्यरत्न-प्रखर अनुरागी वैयावृत्त्य-परायण पू. मुनिराज श्री गुणसागरजी महाराजने आगमोद्धारक संग्रह के १ से ३० प्रन्यों को मुद्रित करवाने का भगीरथ कार्य पिछले २५ वर्षों में किया है। प्रन्यों की सूचि निम्नानुसार है :
SR No.032387
Book TitleAgamdharsuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherJain Pustak Prakashak Samstha
Publication Year1973
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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