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________________ जा परिशिष्ट - चतुर्थ आचार्यप्रवर के ७० चातुर्मास : एक झलक या पाना सन्त-नामावली एवं अन्य चातुर्मास विशेष विवरण क्र. विक्रम | ईसवीय चातुर्मास सं. संवत् । सन् । स्थल १ १९७८ १९२१ अजमेर २ १९७९ १९२२ जोधपुर १.आचार्यप्रवर पूज्य श्री शोभाचन्द जी म.सा., पौष शुक्ला चतुर्दशी संवत् १९७७ को अजमेर २. मुनि श्री हरखचंदजी ३. मुनि श्रीलाभचंदजी में चरितनायक की दीक्षा। साथ में मनि श्री ४. मुनि श्री सागरमलजी ५. मुनि श्री चौथमलजी, माता महासती श्री रूपकंवरजी एवं लालचन्दजी ६. मुनि श्री हस्तीमलजी ७. मुनि महासती अमृतकंवरजी की भी उसी दिन दीक्षा। श्री चौथमलजी ठाणा-७ प्रथम चातुर्मास अजमेर में ही विशेष विनति पर । नागौर - १. मुनि श्री सुजानमलजी, २. मुनि श्री भोजराजजी ३. मुनि श्री अमरचन्दजी जी - ठाणा ३ १. आचार्यप्रवर पुज्य श्री शोभाचन्दजी म.सा. १. पूज्य श्री हरखचंदजी म.सा. का भाद्रपद कृष्णा २.मुनि श्री सुजानमलजी ३. मुनि श्री अमावस को स्वर्गवास हो जाने पर मुनि भोजराजजी ४. मुनि श्री अमरचन्दजी ५. मुनि लालचंदजी अकेले रह जाने से वे अजमेर से श्री लाभचन्दजी ६. मुनि श्री सागरमल जी ७. जोधपुर पधार गये। मनि श्री हस्तीमलजी ८. मुनि श्री चौथमलजी, २. मुनि श्री लक्ष्मीचंदजी (बड़े) की दीक्षा जोधपुर ठाणा-८ में स्थित मुथाजी के मंदिर में अगहन (मार्गशीर्ष) अजमेर- १. मुनि श्री हरखचन्द जी, शुदि पूनम संवत् १९७९ में हुई। इनके साथ ही २. मुनि श्री लालचन्दजी ठाणा २ महासती छोगाजी (लोढण जी) एवं किशनकंवर जी की दीक्षा सम्पन्न हुई। इससे पूर्व वैशाख माह में महासती सज्जनकंवर जी एवं सुगनकंवर जी| की दीक्षा सिंहपोल, जोधपुर में सम्पन्न । १. आचार्यप्रवर पूज्य श्री शोभाचन्दजी म.सा. माघ पूर्णिमा संवत् १९७९ से आचार्यप्रवर श्री २.मुनि श्री सुजानमलजी ३. मुनि श्री शोभाचन्द्रजी म.सा. द्वारा जोधपुर के मोती चौक भोजराजजी ४. मुनि श्री अमरचन्दजी ५. मुनि स्थित पेटी के नोहरे में स्थिरवास । श्री लाभचंदजी ६. मुनि श्री सागरमलजी ७. मनि श्री लालचंदजी ८. मुनि श्री हस्तीमलजी १. मनि श्री चौथमलजी १०. मुनि श्री लक्ष्मीचन्दजी ठाणा-१० पूज्य श्री शोभाचन्दजी म. सा. का श्रावण कृष्णा अमावस्या रविवार संवत् १९८३ को स्वर्गवास । पूज्य आचार्य श्री शोभाचन्दजी म.सा. के संकेतानुसार चरितनायक का आचार्यपद हेतु चयन, किन्तु उन्हें उनकी अभिलाषा के अनुसार अभी अध्ययन का समय दिया गया। स्वामी जी श्री सुजानमलजी महाराज को संघ-व्यवस्थापक और श्री भोजराज जी महाराज को परामर्शदाता बनाया गया। कार्तिक पूर्णिमा संवत् १९८३ को महासती सुन्दरकंवर जी की अजमेर में भागवती दीक्षा। महासती चूना जी की दीक्षा भी अजमेर १९८० १९२३ जोधपुर ४ १९८१ १९२४ जोधपुर ५ १९८२ १९२५ जोधपुर । ६ १९८३ १९२६ जोधपुर में ही।
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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