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________________ नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं था। • महान् विभूति का जन्म पति केवलचन्द जी के देहावसान के दो माह पश्चात् रूपादेवी के जीवन में सूर्य का उदय हुआ ।पौष शुक्लाचतुर्दशी विक्रम संवत् १९६७ तदनुसार १३ जनवरी सन् १९११ को दिन में १ बजकर ४० मिनट पर रूपादेवी को पिता श्री गिरधारीलाल जी मुणोत के कोट के पीछे के गृह में पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। मुणोत परिवार एवं बोहरा परिवार में नूतन आशा का संचार हुआ। रूपादेवी के नयनों में भी हर्ष के आँसू छलक आए एवं दादी नौज्यांबाई भी | वंशवृक्ष की निरन्तरता से पुलकित हो उठी। बोहरा कुल दानमलजी बोहरा (धर्मपत्नी श्रीमती नौज्यां बाई) रामलाल जी ___ केवलचन्दजी सद्दाबाई रार्मीबाई सुन्दरबाई चुन्नीबाई नि:सन्तान,आपके असामयिक देहावसान के अनन्तर आपकी धर्मपत्नी ने पूज्य श्री जयमलजी म. की सम्प्रदाय में दीक्षा अंगीकार की श्री शेषमलजी कोठारी हरसौर निवासी के साथ परिणय (२ पुत्रियाँ- श्रीमती आनन्दीबाई गाँधी थांवला एवं श्रीमती सुआ बाई मूथा पीपाड़) बासनी ग्राम में विवाहित (श्री हीरालालजी रावतमलजी आदि ४ पुत्र) श्री चन्नीलालजी श्री हरकचन्दजी मूथा पीपाड़ के मूथा हिंगणघाट साथ परिणय (२ के साथ परिणय पत्र-श्री (परिवार फूलचन्दजी एवं मद्रास में) श्री भंवरलालजी) पीपाड़ निवासी गिरधारीलालजी एवं चन्द्राबाई जी मुणोत की सुपुत्री रूपादेवी के साथ वैशाख पूर्णिमा विक्रम संवत् १९६४ को परिणय। केवलचन्दजी का विक्रम संवत् १९६७ के प्लेग से भाद्रपद/आश्विन में देहावसान । पौष शुक्ला १४ संवत् १९६७ को चरितनायक हस्ती का जन्म।
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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