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________________ दशाको प्राप्त होते हुए मोक्षाधिकारी हुए हैं। यथा संप्रतिनरेश। कइ पुण्यात्मा त्रिकाल जिनपूजन करके निज मनको शुभयोगमें स्थिर कर संसारसे उत्तीर्ण हो गये है यथा नागकेतु। अनेक उच्चात्मा सद्गुरुओंकी सेवासे ही स्वकार्य साधक हो गये हैं। जैसे कि, परदेशी राजा और चौलुक्य चूडामणि कुमारपाल भूपाल । ___ अनेकोंही उदाराशय महानुभाव श्रीजिनागमोंके लेखनादि क्रियाद्वारा उद्धार करने करानेसे जगत्में प्रसिद्धिके पात्र और जन्मांतरमें सद्गतिके भाजन हो गये हैं । जैसेकि, भगवान श्री देवर्डिगणि क्षमाश्रमण और स्कंदिलाचार्य प्रभृति साधुमहोदय तथा गृहस्थोंमें संग्रामसिंह-सोनी आदि सज्जनवृंद । सार्मिक पुण्यात्माओंके बहुमानसे स्वयं बहुमानके पात्र बनने वाले उच्चात्मा तो, श्री जिनशासनमें गणनातीत हो चुके हैं, जिनमें श्री संभवनाथ स्वामी तीसरे तीर्थकर भगवान्का उदार चरित विशेष उल्लेखनीय एवं मननीय और अनुकरणीय हैं ? ___ आपने पूर्व भवमें अति दुर्भिक्षके समय साधमिक लोगोंका पालन निजात्माके समान किया था, जिसके प्रभावसे आप अगले भवमें देवद्धिका उपभोग
SR No.032336
Book TitleMandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1923
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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