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________________ “यद्यपि सहजानंदजी के सशरीर रहते मुझे उनके सान्निध्य में रहने का अवसर नहीं मिला, पर मैंने उनकी गुफा में उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति का अहसास पाया है 1000 योगीराज सहजानंद साधनात्मक जीवन के प्रेरणा के प्रकाश-स्तंभ हैं । इतिहास - पुरुष अगरचंदजी नाहटा जैसे लोग तो सहजानंदजी के पदों पर घंटों अपना विवेचन करते थे ।... साहित्य वाचस्पति श्री भंवरलालजी नाहटा ने सहजानंदजी की अनमोल साहित्यिक सेवा की है... प्रतापजी टोलिया ने सहजानंदजी के प्रवचनों को अध्यात्मप्रेमियों तक पहुँचाने में अहम् भूमिका निभाई । ३ वर्तमान में, दादाश्री जिनदत्तसूरीश्वरजी से एवं स्वयं सहजानंदजी से दिल्ली में प्रेरणा पाकर नूतन अहिंसक जैन बनवाने और विदेशों में जैनधर्म प्रचार करनेवाले आचार्य मुनिश्री सुशीलकुमारजीने अमरिका सिद्धाचलम् की सभा में, सहजानंदजी की कल्पसूत्र केसेट मंजुषा का लोकार्पण करते हुए डंके की चोट पर कहा था कि, "टोलिया जी के गुरुदेव सहजानंदजी भारत के सर्वोच्च अध्यात्म योगी थे" । ऐसे विरल अध्यात्म योगी ने हंपी कर्नाटक की गिरिकंदराओं में जो धुनि रमाई उसे उस भूमि को, लक्ष्यकर उन्हें परोक्ष रुप से भाव - अंजलि दी है, शरीर से उन्हें नहीं मिले हैं ऐसे गुजरात के अलखमस्ती के कवि श्री मकरंद दवे ने अपने इन शब्दों में : "भारत में आज अध्यात्म का, सच्चे अध्यात्म का दुष्काल दिखाई देता है तब हंपी के खंडहरों में मुझे नूतन प्रकाश का दर्शन हो रहा हैं ।" ऐसे, वर्तमान भारत में अध्यात्म का नूतन प्रकाश फैलाने वाले सर्वोच्च अध्यात्म योगी सहजानंदघनजी स्वयं तो अपने विषय में सर्वथा मौन, गुप्त साधनारत, प्रसिद्धि से कोसों दूर रहे । जो उन्हें पहचान कर उनके पास पहुंच गये उन्हें प्रतीत हुआ कि ३. 8. श्री सहजानंदघन गुरूगाथा ५. ६. ७. "गुलाब के फूल तुल्य गुरु का दिल कोमल था; गो-क्षीर धारा की भाँति, उनका सुयश उज्जवल था ! मेरे लिये अप्राप्य है, गुरु का विराट व्यक्तित्व; गंगा के सलिल समान, उनका आचार, निर्मल था !! ६ और — "कितने निर्मल, कितने प्रशान्त, कितने सहज, कितने सुशान्त ! बालवत् सरल; प्रबुद्ध और तरल, कहाँ मिलेंगे तुझे निशान्त ? ७ (35) श्री चन्द्रप्रभसागरजी लिखित "सहजानन्द सुधा" ग्रंथ की भूमिका । श्री सिद्धाचलम्, न्यूजर्सी, अमरिका, 1986 इस लेखक की कृति "दक्षिणापथ की साधनायात्रा" (गुज. आवृत्ति ) पृ. ११ साध्वी डा. श्री. प्रियलताश्रीजी । निशान्त अनंतयात्री : "गीत निशान्त "
SR No.032332
Book TitleSahajanandghan Guru Gatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year2015
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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