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________________ वहाँ से गदग के कच्छी भावुक उसे गदग ले आए। वहाँ से बेल्लारी और होस्पेट के पूर्वपरिचित मारवाड़ी बन्धु वि.सं. २०१७ के द्वितीय ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी के दिन इस देहधारी को हम्पी लेकर आए । • श्री सहजानंदघन गुरूगाथा • सर्वप्रथम हम्पी के रत्नकूट की गुफाओं में ही प्रवेश किया और इस आत्मा में यकायक स्फुरणा हुई कि, "जिसे तू चाह रहा था वही यह तेरी पूर्व - परिचित सिद्धभूमि !" पूर्वकाल में यहाँ पर अनेक साधकों ने विद्या की सिद्धियाँ प्राप्त की हैं अतः उसे विद्यासिद्ध भूमि- 'विद्याधर भूमि' कहा गया है। इस वातावरण के स्पर्श से हृदय नाच उठा ! अवसर देखकर साथ आए हुए भावुकों ने यहाँ पर ही चातुर्मास करने हेतु सादर अनुरोध किया जिसे इस देहधारीने सहर्ष स्वीकार कर लिया । इस उजड़े हुए स्थान को व्यवस्थित होने में कुछ समय लगने की संभावना के कारण समीपवर्ती हेमकूट पर संस्थित अवधूत मठ की एक गुफा में इस देहधारी ने निवास किया । वहाँ हम्पी तहसीलदार गुणानुरागी बसलिंगप्पा आदि सत्संग में पधारे । वे स्वयं लिंगायती होने से उन्होंने इस देहधारी की धार्मिक विचारणा समझने हेतु कुछ प्रश्न पूछे । सात्विक समाधान से प्रभावित होकर उन्होंने इस देहधारी को यहाँ पर ही स्थायी होने का सविनय आग्रह किया । फिर उन्होंने होस्पेट कोंग्रेस के वर्तमान प्रेसिडेन्ट एस.पी. घेवरचंद जैन आदि समक्ष ऐसा प्रस्ताव रखा कि, "अगर आप स्वामीजी को हम्पी में रहने का कबुल करवायें तो आश्रम के लिए मैं फ्री पट्टे पर ज़मीन दूँ" - इस प्रस्ताव को उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया । और जमीन निःशुल्क पट्टे पर प्राप्त हुई ।* फिर आश्रम की स्थापना, नामकरण, व्यवस्था, प्रचार पर..... पट्टा किस नाम का बनवायें ? यह प्रश्न उपस्थित होने पर 'सहजानंद आश्रम' यह नाम सर्वानुमत से पारित हुआ, जिसकी जानकारी इस देहधारी को बाद में दी गई। उसने श्रीमद् के अलौकिक जीवन संबंधित कुछ वर्णन करके उनके प्रति सभी का आदरभाव उत्पन्न करवाया और बाद में श्रीमद् राजचंद्र आश्रम के नाम का पट्टा बनवाया जाये ऐसा निश्चित करवाया । यद्यपि इस प्रदेश में तथा प्रकार के प्रचार के अभाव से श्रीमद् के प्रति श्रद्धाभक्ति रखनेवाले कोई नहीं थे, परंतु इस देहधारी के प्रति पूर्व परिचय के कारण से कुछ लोगों को विश्वास था इसलिए उन लोगों ने वह बात मानी । परंतु जो लोग गच्छ मत के दृढ़ संस्कारी थे उनको उनके उपदेशकों ने इस सत्संग में आने से रोक दिया । आश्रम निर्माण कार्य के लिए श्रद्धालुओं ने परस्पर मिलकर फंड एकत्रित किया और एक शिवभक्त गुत्ती तोटप्पा ने जी जान लगाकार एक महीने में गुफामंदिर तैयार करवाया । जिससे वि.सं. २०१७ के आषाढ़ शुक्ला एकादशी के दिन अति उत्साहपूर्वक इस श्रीमद् राजचंद्र आश्रम की स्थापना और गुफामंदिर में परम कृपाळुदेव के चित्रपट की स्थापना की गई..... ट्रस्टी मंडल रचा गया । यह सारा वर्णन 'उपास्यपदे उपादेयता' आदि में विस्तार से दिया गया है । * (26)
SR No.032332
Book TitleSahajanandghan Guru Gatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year2015
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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