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________________ • श्री सहजानंदघन गुरूगाथा • ___(2) बेंगलोर में रह कर मुख्य रूप से मुझे (और माउन्ट आबु, अहमदाबाद या विदेश में जहाँ भी हों वहाँ से डाक द्वारा गौण रूप से सुश्री विमलाताई को अंग्रेजी तथा तात्त्विक निरुपण अंग्रेजी भाषा में सही रूप से हुआ है यह देखने के लिए) यह कार्य करना है अतः जहाँ भी आवश्यकता हो वहाँ कृपाळुदेव के अर्थ एवं उसके रहस्यों को समझने हेतु आपकी ज्ञानशक्ति का लाभ हमें मिल सकता है ? । अगर अपकी सहायता मिलेगी तो मैं समझूगा कि मैं आपकी तथा कृपाळुदेव की कृपा के पात्र बन सका । पू. पण्डित सुखलालजी ने ही आपकी यह सहायता लेने का सूचन किया है । बेंगलोर में मेरा रहना निश्चित हो जाने के कारण आप ही निकटस्थ अधिकारी मार्गदर्शक रहेंगे। तो इन दोनो बातों के विषय मे योग्य मार्गदर्शन देने की विनति कर रहा हूँ । इस पत्र के साथ साध्वीजी निर्मलाश्रीजी का भी दूसरा पत्र है । आपके प्रत्युत्तर से वे अनुग्रहित हुई हैं और इस दूसरे पत्र के द्वारा वे उनकी स्वर्गीया माताजी के विषय में जानना चाहती हैं । उन्होने अपनी इन मातागुरु के पास ही नव वर्ष की बाल वय में दीक्षा ली थी और मातागुरु दो वर्ष पूर्व काल कर गई हैं... यह सहज जानकारी के लिए लिख रहा हूँ। आप को बार बार कष्ट दे रहा हूँ जिसके लिए अन्तःकरणपूर्वक क्षमायाचना कर रहा हूँ। अन्त में आपको एवं माताजी को विनय वन्दना के साथ प्रताप के भाववन्दन (17) (पू. गुरुदेव की निश्रा से) 290 सुख निवास सायन (पूर्व) स्कीम नं. 6, मार्ग-31, मुम्बई-22. दिनांक : 30-06-1970 पू. आदरणीय श्री प्रतापभाई सविनय सप्रेम जय सद्गुरुवन्दन । आपका कृपापत्र मिला । सर्व हकीकत ज्ञात हुई । यहाँ हम सब सकुशल हैं और सब की कुशलता की कामना करते हैं। प.पू. गुरुदेव तथा प.पू. माताजी ने आप सब को अनेकानेक आशीर्वाद कहे हैं । प.पू. गुरुदेव तथा प.पू. माताजी का शरीर स्वास्थ्य ठीक है । बकरीवाले मरहमपट्टी वाले के नाम से प्रसिद्ध भाई की दवा (मरहमपट्टी) का उपचार गुरुदेव के लिए चल रहा है । फोड़ा था वह फूट गया है । पस (पीब) बाहर आने के बाद उसे रुझाने की दवाई दी जायेगी। (106)
SR No.032332
Book TitleSahajanandghan Guru Gatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year2015
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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