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________________ Second Proof Dr. 31-3-2016-21 • महावीर दर्शन - महावीर कथा . (M) "बाल को करती प्यार दुलार माँ, झूले की डोरी खींचती थी; (धधध-नीसा नीसा । नीसानीधप । पपप धनी धप धनीनी नीनीनी) सुर मधुर सुनाय सुनाय के, अंतस्-अमृत सींचती थी। (रेरेरे गरेसा । रेमम धपप - । गगग मधप मममम) "वीर होना, गंभीर होना तू" पुत्र को आशिष देती थी; (ध-पम ध ध ध । म प प प, ध ध ध नी सा सा । नी सासासासा) . झुकझुक के निज लाल के लोचन, नेह नजर से देखती थी ॥" (रे रे रे गरेसा रेमम ध पप - गगग मधप ममममम (2) (००००० वाद्यस्वर परिवर्तन ०००००) (लोरी गीत) (राम-पहाड़ो छाया; ताल-दादरा) "सो जा रे - सो जा । ... सो जा ... । ओ मेरे बाल । लाल । मीठी मीठी लोरी सुनाऊं, मैं तो तेरे काज; जागने का शेष तुझे रे, सो जा रे तू आज । सो जा रे ॥" (सूरमंडल) वर्धमान के जन्म से ही "श्री" एवं "आत्मश्री" का वर्धन, उनका विद्याशाला में गमन और अपने अलौकिक बाल-पराक्रम से 'वर्धमान' से 'महावीर' नामकरण: चल पड़ा यह क्रम (बाल वृंद गीत) (राग-भीमपलास; ताल-दादरा) " "ओ मैया ! तेरे कुंवर की करनी क्या बात ? ओ त्रिशला ! तेरे कुंवर की कहनी क्या बात ? सब से निराली उस की जात, भली है उस की भाँत, ओ मैया ! तेरे कुंवर की करनी क्या बात ? "एक दिन समी मिल के हम खेल खेलते थे, सुख-दुःख के घाव, दाव संग झेलते थे। निकला अचानक साँप एक महाकाय, देखते ही सभी हम भागते चले जायँ, बोलते हुए - 'बाप रे बाप !' रस्सी समान पैक छोड़ रक्खा उसे, पर कांपा न उसका हाथ । ओ मैया । तेरे कुंवर की करनी क्या बात ?" साँप बने हुए उस देवताने फिर थककर क्या किया ? (भय-वाद्यः ०००) (M) (21)
SR No.032330
Book TitleAntarlok Me Mahavir Ka Mahajivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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