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________________ Second Proof Dt. 16-7-2018 - 4 स्वयं-आधारित क्रान्तिकार्य में भी उसने जिन जिन साथियों सहयोगियों तक को भी जोड़ा और परिवर्तित किया उन सब को भी उसने अहिंसक और नीतिमान बनाया। दीनदुःखियों का सही अर्थों में उद्धार किया अपनी सीमित क्षमताओं और संभावनाओं के बीच । - उसके ऐसे स्वयं भुक्तभोगी, दरिद्र केन्द्रित, अहिंसा-आधारित क्रान्तिकार्यों का कुछ पुरस्कार उसे अपने छोटे से जीवन के जीवनांत में कुछ अज्ञात अदृश्य शक्तियों के जीवनसहायक रूपों में संप्राप्त हुआ । - ये जीवन - उन्नायक, जीवनोद्धारक, जीवन-ऊर्ध्वकरण-कारक रूप थे - अंतिम जानलेवा बीमारी के बीच कलकत्ता के मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी के प्राकृतिक चिकित्सालय में दो बार देह छूटने से 'जीवदयाणं वत् रक्षा करनेवाले रहस्ययोगी और रवीन्द्रनाथ के अंतेवासी गुरुदयाल मल्लिकजी उनकी अदृश्य परोक्ष सुदूर से सहायता और फिर उन्हींके प्रत्यक्ष समागम रूप में, कीर्ति के हैद्राबाद पहुंचने के पश्चात् स्वयं हैद्राबाद आकर पांच पांच दिनों का पावन सहवास देकर और उसकी आत्मा के ऊर्ध्वकरण के साक्षात् प्रयोगरूप में और बाद में २३-१०-१९५९ के दिन जिनशासन देवता के प्रत्यक्ष अद्भुत प्रसंग के रूप में सहायता अकल्प्य थी । रहस्ययोगी मल्लिकजी का योगदान कीर्ति के जीवनांत में जो रहा और उसके जीवन के पश्चात् भी उनके अंग्रेजी पत्रों में जो उनका परिदर्शन रहा, वह सारा तो इस लेखक की अंग्रेजी पुस्तक ‘Mystic Mallikji & Krantikar Kirtikumar Toliya' में विस्तार से अंकित हो रहा है । देवताप्रसंग इस पुस्तक के अंत में यथावत् दिया जा रहा है और कीर्ति का जीवनसंदेश उसके पत्रों के अलावा हमारे अतिमूल्यवान क्रान्ति-प्रसारक नाटक 'जब मुर्दे भी जागते हैं !' में बड़े प्रभावक ढंग से व्यक्त हुआ है - जो कि उसकी मृत्यु के बाद शीघ्र ही लिखा गया था और अहमदाबाद, अमरेली, हैद्राबाद आदि स्थानों पर क्रान्ति की लहर फैलाता हुआ बारह बारह बार मंचित हो चुका था ! उक्त नाटक में क्रान्तिकार कीर्ति की आत्मा भारत की आज़ादी के शहीदों की यह प्रबल आवाज प्रस्तुत करती हुई हमारे भीतर प्रतिध्वनि जगाती है, प्रत्येक से वह पूछती है कि - (विशेषकर वर्तमान राजनेताओं से) : "क्या यही है हमारे सपनों का भारत ? यह भ्रष्ट भारत-सर्वतोभद्र भ्रष्ट बन चुका भारत ? क्या ऐसे भारत के लिये हमने बलिदान दिया था ?.... अफसोस ! सोचा नहीं था ऐसा भारत हमने सपनों में भी।" शहीदों के सपनों का भारत, बापू गांधी के शब्दों में 'मेरे सपनों का भारत', क्रान्तिवीरों का भ्रष्टाचार मुक्त भारत और अहिंसाथमओं का हिंसाविहीन, कत्लखानों और समग्र प्राणी हिंसा विहीन भारत के नूतन निर्माण में क्रान्तिकार कीर्ति की यह क्रान्तिकथा एवं उपर्युक्त दो कृतियाँ महान निमित्त बनेंगी – अन्य ... आगामी कृतियाँ 'Why Abattoins Abolition ?” “पुकारते हैं मूकपशु" इत्यादि के साथ, ऐसा हमें विश्वास है ।
SR No.032327
Book TitleKarunatma Krantikar Kirti Kumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year
Total Pages54
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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