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________________ पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा, ज्येष्ठा, अनुराधा, स्वाति और भरणी इन नक्षत्रों पर शनि हो अथवा ये नक्षत्र और शनिवार हो तब अगर घर का आरंभ किया जाय तो वह घर राक्षस और भूत आदि के निवासवाला बनता है। कृत्तिका नक्षत्र के ऊपर सूर्य अथवा चन्द्रमा हो तब अगर घर का आरंभ किया जाय तो वह घर जल्दी अग्नि में भस्म हो जाता है। प्रथम शिला की स्थापना - प्रथम शिलास्थापना पूर्व और उत्तर दिशा के मध्य भाग में ईशान कोण में नीम में प्रथम घी - चावल और पाँच रत्न रख कर और शिल्पियों का सन्मान करके प्रथम शिला का स्थापन करना चाहिए। राजवल्लभ आदि कुछ शिल्पग्रंथों में शिला की प्रथम स्थापना अग्नि कोण में करने के लिये कहा गया है। खात - लग्न विचार शुक्र लग्नस्थान में, बुध दशवें, सूर्य ग्यारहवें और बृहस्पति केन्द्र में (1 - 4 - 7 - 10 स्थान में) हो ऐसे लग्न में अगर नवीन घर का खात मुहूर्त किया जाय तो वह घर सौ वर्ष के आयुष्यवाला बनता है। लग्न के दशवें और चौथे स्थान में गुरु और चन्द्रमा हो तथा ग्यारहवें स्थान में शनि अथवा मंगल हो ऐसे समय में अगर घर का आरंभ किया जाय तो उस घर में अस्सी वर्ष तक लक्ष्मी स्थिर रहती है। गुरु लग्न में (प्रथम स्थान में) शनि तीसरे स्थान में, शुक्र चौथे स्थान में, रवि छठवे और बुध सातवें स्थान में हो ऐसे लग्न के समय में अगर गृहनिर्माण का आरंभ किया जाय तो उस घर में लक्ष्मी सौ वर्ष तक स्थिर रहती है। शुक्र लग्न में सूर्य तीसरे, मंगल छठे, गुरु पाँचवे स्थान में हो ऐसे लग्न में अगर निर्माणकार्य प्रारंभ किया जाय तो उस घर में दो सौ वर्ष तक अनेक प्रकार कीऋद्धि होगी। कर्क राशि का चन्द्र लग्न में हो और बृहस्पति बलवान हो कर केन्द्र में (1 - 4 -7 - 10 वें स्थान में रहा हो ऐसे लग्न के समय में आरंभ किये गये घर में धन धान्य की बहुत वृद्धि होती है। गृह निर्माण के आरंभकाल में अगर लग्न के आठवेंस्थान में क्रूर ग्रह हो तोमध्यम फलदायक होता है। ___ अगर लग्न में कोई भी एक ग्रह नीच स्थान का, शत्रु के घर का या शत्रु के नवांश का हो कर सातवें अथवा बारहवें स्थान में रहा हो, और घरके स्वामी का वर्णपति निर्बल हो ऐसे समय में अगर घर का आरंभ किया जाय तो वह घर औरों के हाथ में चला जाता जन-जन का उठाया जैन वास्तुसार 25
SR No.032324
Book TitleJan Jan Ka Jain Vastusara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year2009
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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