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________________ Cacaceaedoara शिक्षा गुरू-स्तुति : नवकार मेरे गुरू रटे मंत्र नवकार, यही है चौदह पूर्व का सार मेरे गुरू ... अरिहंत-सिद्ध-सूरि-पाठक-मुनि, परमेष्ठि अविकार, पांचों पद में सार आतमा, साध्य-साधक सुविचार मेरे गुरू...1 ज्ञायक लक्षे आत्मभावना भावत उघड़े द्वार, रटत मंत्र कटत छादन ज्यों, लोहे लोहा धार... मेरे गुरू ...2 द्वादशांगी मध्य सार यही ले, शेष प्रवृत्ति निवार, मध्यमा वाचा जपेजापनित्य करपल्लवक्रम प्यार... मेरे गुरू ...3 शान्त दान्त गम्भीर धीर मेरे विद्यागुरू मद टार, पाठक लब्धि गुरू-पद वंदत, सहजानंद अपार... मेरे गुरू ...4 योगीन्द्र युगप्रधान श्री सहजानंदघनजी (सहजानंद सुधा 39/50) GEOGRESS 2 SOCDSCSCSr
SR No.032318
Book TitleNavkar Mahamantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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