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________________ RECOGR150909098904 नवकार महिमा नमो अरिहंताणं नमो सिद्धाणं नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाणं नमो लोए सव्व साहूणं एसो पंच नमुक्कारो सव्व पावप्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवड़ मंगलम्।। नवकार : नमोकार : णमोकार : नमस्कार मंत्र कितना विराट विशाल विशिष्ट महामंत्र! विश्व-कल्याण, विश्व शांति का महामंत्र!! व्यक्ति-माहात्म्य का नहीं, उसके अंतर्निहित विशिष्ट गुणवाचकता-गुणमहत्ता-गुणसंपदा का अवैयक्तिक महामंत्र!!! अनंत है उसकी महिमा, अपार-अपरंपार है उसका सामर्थ्य, अनिर्वचनीय-अवक्तव्य-अभिव्यक्ति से परे, केवल अनुभूतिगम्य है उसकी देश, कालातीत सर्वकालीन क्षमता। बस चाहिये समर्पित श्रद्धा, संनिष्ठ विश्वास, निर्विकल्प श्रद्धाभरा विश्वास। परमगुरूदेव ने दर्शित की है, दर्शाई-समझायी है अद्भुत अभूतपूर्व रूप से उसकी यह महिमा। पंच परमगुरूओं के रूप में, आत्म तत्त्व के निहित गूढ रहस्य के रूप में, श्रद्धा भक्ति के रूप में, साकार भी-निराकार भी। गहन तात्त्विक भी, सरल, सुलभ, प्रभावपूर्ण दृष्टांतयुक्त भीशिवकुमार के, श्रीमती के, चोर के, अनेकों के। सुने यह सब उनकी ही पावन, प्रभावपूर्ण, आर्ष अनुभव वाणी में। यह तो अंतर्निहित, अचिंत्य माहात्म्य युक्त है। क्या रहस्य भरा पड़ा है इस महामंत्र में? क्या अर्थघटन हो सकता है इसका? सब सुनें, सो, हम इस प्रवचन के द्वारा और फिर क्या रहस्य नमस्कार महामंत्र में गुप्त रहा है यह खोजकर, विवेकप्रज्ञा को जगाकर, फिर प्रयोग में - प्रत्यक्ष आराधना में उसे उपयोग में लायें। एक गानवत्-भजन गानवत् जन्म बन जायेगा फिर आपका, आपके अंत: अनुसंधान का। (सद्गुरूदेव सहजानंदघनजी की 'नवकार महिमा' प्रवचन सी. डी. का प्राक्कथन) GOOGO 1 90909090900
SR No.032318
Book TitleNavkar Mahamantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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