SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७ पंचभाषी पुष्पमाला पुरुष की होगी उसका आज का दिन हम सब के लिए वंदनीय है। ९५. इन सब लक्षणों से युक्त होने के लिए जो पुरुष विचक्षणतापूर्वक प्रयत्न करता है, उसका दिन हम सब के लिए माननीय है। ९६. इससे विपरीतभावयुक्त व्यवहार जहाँ हो रहा हो वह घर हमारी कटाक्षदृष्टि की रेखा है। ९७. भले ही तुम अपनी आजीविका के जितना प्राप्त करते हो, परंतु यदि वह निरुपाधिमय हो तो उपाधिमय उस राजसुख की कामना करके अपने आज के दिन को अपवित्र मत करना । किसीने अगर तुम्हें कटुवचन कहा हो तो उस समय सहनशीलता (धारण करना) निरुपयोगी भी... ९९. दिन में हुई भूल के लिए रात के समय (अपने आप पर) हँस लेना, परंतु इस प्रकार फिर से हँसना न पड़े इस बात को लक्ष में रखना । १००. आज बुद्धिप्रभाव में कुछ वृद्धि की हो, आत्मिक शक्ति को उज्ज्वल बनाया हो, पवित्र जिनभारती
SR No.032308
Book TitlePanchbhashi Pushpmala Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year2007
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy