SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Second Proof Dt. 23-5-2017 . 1 • महासैनिक .. महासैनिक अंक-१ दृश्य : प्रथम स्थान : युद्धभूमि : चौथे तकनीकी वैज्ञानिक-युद्ध की। समय : संध्या, रात्रि (रंगमंच पर आरम्भ में अंधकार, बाद में मंद रंगीन प्रकाश । बॉम्बार्डमेन्ट के-बम के-प्रयोग चालू होने के कारण पश्चाद्भू से बीच बीच में बम की दूरस्थ आवाजें... । पार्श्वभूमि से सांकेतिक गूजराती गीत और उसका रहस्यार्थ प्रस्तुत करती हुई प्रवक्ता-वाणी... । उसके पश्चात् शांतिसैनिक 'बूढ़े बाबा' का प्रवेश.....) पार्श्व-गीत (एकाकी : पुरुष स्वर): धण रे बोले ने एरण सांभळे हो...जी बंधुडो बोले ने बेनड़ सांभळे हो...जी बहु दिन घड़ी रे तलवार घड़ी कांइ तोपुं ने मनवार, पांच-सात शूराना जयकार काज खेलाणा खूब संहार : हो एरण बेनी ! - धण रे बोले ने - पोकारे पृथ्वीना कण कण कारमा हो...जी : पोकारे पाणीडां पारावारना हो...जी जळ-थळ पोकारे थरथरी कबरुंनी जग्या रही नद जरी; हाय, तोय तोपुं रही नव चरी : हो एरण बेनी ! -धण रे बोलेनेभट्ठियुं जले रे बळता पोरनी हो...जी धमण्युं धमे रे धखता पो 'रनी हो...जी
SR No.032302
Book TitleMaha Sainik Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherYogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan
Publication Year
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy