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________________ Second Proof Dr. 23-5-2017 -50 • महासैनिक. __ (जनरल वहाँ रखा हुआ टेइप चालु करते हुए.. और बाबा की भूमि को प्रणाम करते हुए कहते हैं -) जनरल : काश ! कि यह निर्णय हमने कल लिया होता । कल, चौबीस ही घंटे के पूर्व, बाबा के मरते समय... तो... तो ....? पर अफ़सोस.....! खैर, साथियों ! सुनिए बापू गांधी की एक छोटी सी वाणी -जो संदेश हैं, जीवनमंत्र है, हम शांतिसैनिकों के लिए: पार्श्ववाणी (गांधीजी का) (सब गौर से सुनते हैं) "..... सत्याग्रही अपने कार्य की सच्चाई में निष्ठा और अपने साधनों की शुद्धिइन दोनों को लेकर काम करेगा । जहाँ साधन शुद्ध होते हैं वहाँ परमात्मा अपने आशीर्वादों के साथ निःसंदेह हाज़िर रहता है। और इन तीनों का मेल जहां होता है वहाँ हार असम्भव हो जाती है। एक सत्याग्रही का नाश तब होता हैं जब वह सत्य, अहिंसा और अंतरात्मा की आवाज़ को भुल जाता है, ठुकराता है।" जनरल : (प्रभावित ही चक्कर काटते और दोहराते हुए) "एक सत्याग्रही का नाश तब होता है जब वह सत्य, अहिंसा और अंतरात्मा की आवाज़ को भुल जाता है, ठुकरात है ।....." मार्शल (लौटकर): साहब ! डिफैन्स मिनिस्टर साहब तो स्पेश्यल प्लेइन और पेरेश्युट अम्ब्रेला से यहाँ आने निकले हुए हैं : सब : यहाँ ? मार्शल : और प्रेसिडैन्ट साहब... तो हमारे फैसले की बात सुनकर दंग ही रह गये... । जनरल : अच्छा ! सब : दंग रह गये? मार्शल : हाँ, उन्होंने जवाब में कुछ नहीं कहते हुए सिर्फ इतना ही सवाल पूछा और फोन घड़ल्ले से रख दिया कि, क्या ऐसे सैनिक कभी हो सकते हैं ? स्पेइस सॉल्जर : हम भी हमारे जनरल साहब से यही पूछ रहे थे कि, क्या ऐसा सैनिक कभी हो सकता है? ( सब हँसते हैं ।) जनरल : और मैंने भी इस बाबा से और गांधी की आत्मा से बारबार पूछा था कि क्या ऐसा सैनिक कभी हो सकता है ? (सब हँसते हैं) पार्श्वगीत पंक्ति : शेर (टेइप से) (पार्श्व में प्लेइन की आवाज़) (50)
SR No.032302
Book TitleMaha Sainik Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherYogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan
Publication Year
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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