SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Second Proof Dt. 23-5-2017 -44 • महासैनिक. A (सब खड़े हो जाते हैं, सन्नाटा छाया रहता है, पेड़ पर से सूखे पत्ते गिरते हैं, वाद्यसंगीत के करुणतम मंद स्वर के बाद में सुनाई देते है और दो मिनट के बाद सब बैठ जाते हैं।) जनरल : (अपने नये वेश में शांति सैनिक के : लंबा सफेद robe और गले में ब्लु Scarf |शांतिसेना का प्रचलित 'पीला' Scarf जान बुज़कर नहीं लिया गया).... मेरे प्यारे साथियों.... ! (कुछ रुक जाते हैं : गंभीर आवाज़ में) सब से पहले तो मुझे हमारे देश के पांच करोड़ निरपराधी लोगों की हत्या के लिए माफी मांगनी है । यह अपराध इतना बड़ा है कि इसे माफ़ ही नहीं किया जा सकता। इस लिए मैं पश्चाताप द्वारा और परिवर्तन के द्वारा अनेक हिमालयों से भी बड़े इस अपराध को कुछ धोना चाहता हूँ। इस हेतु मुझे प्रेरणा हुई है पांच दिन के उपवास, सतत प्रार्थना और सत्य, अहिंसा के शस्त्र अपनाकर शांति सैनिक के रूप में अपना रूपांतर करने की। सब : धन्य हैं आप, धन्य हैं। मार्शल : इसमें आप तो जनरल साहब दोषित हैं ही नहीं, दोष अगर है तो राकेट नंबर १ के भटके हुए स्पेइस सॉल्जरों का या हम सब का । इस लिए हम सब भी आपके साथ उपवास और प्रार्थना में शामिल होंगे। सब : बिल्कुल ठीक है, हम सब शामिल होंगे। जनरल : लेकिन मेरे लिए तो इतने से नहीं चलता। मेरी जिम्मेदारी और मेरी गलती बड़ी है। मेरे पद के कारण मेरे अहंकार की भी कोई कमी नहीं थी। और इस लिए मेरा सब से आवश्यक प्रायश्चित होगा सेना के जनरल के पद से मेरा त्यागपत्र... ( वाद्यसंगीत । सब झटका-सा अनुभव करते हैं) मार्शल : त्यागपत्र ? फिल्ड मार्शल : त्यागपत्र ? लैफ्टेनन्ट : त्यागपत्र ? सब : नहीं, हरगिज़ नहीं । आप को त्यागपत्र हम हरगिज़ नहीं देने देंगे। जनरल : आपके प्रेम के लिए मैं आप सब का आभारी हूँ, लेकिन मैं अब जो परिवर्तन अनुभव कर रहा हूँ और नये ढंग की सेना का काम करना चाहता हूँ उसमें या तो यह पद छोड़ना चाहिए या लड़ने का ढंग बदलना चाहिए... । मार्शल : लड़ने का ढंग आप बदल सकते हैं। सब : हम सब उसमें साथ देंगे आप का । जनरल : आप सब साथ दें तो तो बड़ी अच्छी बात है। तब तो कुछ हो सकता है । लेकिन आपमें से सब के सब - इस शांत प्रक्रिया को पूरी की पूरी समझ लें यह आवश्यक है । मैं नहीं चाहता कि मेरे प्रति रहे हुए प्रेम और आदर के कारण आप मेरा अंधानुसरण करें । मेरी बातों को वैसी की वैसी मान लें। (44)
SR No.032302
Book TitleMaha Sainik Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherYogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan
Publication Year
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy