SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निर्णय लई अने पछी थाय छे. निर्णय वगरनां जे कामो कराय छे तेमां परिणाम शुं आवे ? एटले नियति – निश्चय – “ मारे आ जन्ममां आत्मज्ञान पोमवुज छे." आ पहेलां निश्चय होवो घटे छे. “ मारे लखपति थq छे " एवो निश्चय करीने वेपार करनाराओ केटलाक लखपति बने छे. जेने बाकीनां कारणो मळी जाय ते बने छे. बाकीनां कारणो मेळवे नहीं तेने मेळ नथी बेसतो. तो सौथी पहेलां ए निर्णय हृदयनी अंदर स्थिर थवो घटे छे के, “ मारे अमुक काम करवू ज छे ! करीश ज. करके हटेंगे। मरनेवाले तो हम हैं नहीं । हम कौन ? आत्मा - कभी मरते नहीं । " ए पाको निर्णय लेवाय ते पछी एने अनुकूळ स्वभाव करवो पडे छे. पोताना भावोने 'स्व' ने अनुकूळ करवू (करवा) पडे छे. 'स्व'ने अनुकूळ पोताना भावो न होय तो ए आत्मशुद्धि -आत्मसिद्धि करी शके नहीं. 'स्वे भवनं स्वभाव.' पोतामां पोताना भावोनुं अनुकूळ रहेq : एटले के जोवा-जाणवानी जे चेतना शक्ति छे-प्रकाश रुपा-ते अत्यारे देहाकारे टकेली छे, ने इन्द्रियोनां माध्यमथी आपणे ए प्रकाश शक्तिने वापरीए छीए-बहारना पदार्थाने जोवा जाणवा माटे. ए ज्यांथी स्फुरे छे, एनुं जे उद्गमस्थान छे, ते जुदुं छे. जेम सेल अने बल्ब. सेलमा प्रकाशं छे. स्वीच दबावी अने एनी जोडे वल्बने अनुसंधानित बनावीए, बंने जोडाण पामे एटले सेलनो प्रकाश बल्बमां आवे छे. आवे छे ? तेम आ बधुं
SR No.032295
Book TitleParam Guru Pravachan 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1998
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy