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________________ परमगुरू प्रवचन (१) पांच समवाय : सत्पुरुषार्थ पांच समवाय कारणो अने दृढ निर्धार : पूर्वकृत अने पुरुषार्थ ए बे ज कारण नहीं पण पांच कारण छे. काळ, स्वभाव, नियति, पूर्वकृत अने पुरुषार्थ-पांचेयनो मेळ बने तो कार्य सिद्ध थाय. एक सामान्य उदाहरण रुपेः अमुक ऋतुमां ज वरसाद वरसे छे, अमुक काळमां ज, अमुक वर्षा पछी ज वृक्ष अंकुरित थई, मोटुं थईने फळे छे. ते अमुक ऋतुमां ज थाय छे. ते काळ पण सापेक्ष छे. अहीं जे काम आपणे चींधीओ ते काममां पांच कारणोनो मेळ बेसाडवो ज जोईए. आत्मशुद्धि-आत्मसिद्धि ए कार्य छे. “ मारे आ जीवननीं अंदर आत्मानी शुद्धि अने सिद्धि करवी छे." जेटली शुद्धि एटली सिद्धि. आत्मसिद्धि-ए निर्णय थई जवो जोईए के, “ मारे आ काम कर छे." ए नियति एटले निर्णय. कोइ पण काम पहेला
SR No.032295
Book TitleParam Guru Pravachan 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1998
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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