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________________ ओर्ड पर जा पार्यमां, नम्रती बघते, उपश्यी सयित्त भीडं न नांपर्यु. सेडासणं, लियासणु, सायंमिल पोरेमां सयित्तनो त्याग होय छे. पू. साधु-साध्वीजुने पए सयित्त भीडं पहोशवी न शहाय. का महानिशीय सूत्रमा मतापेसां श्री परमार्यरिस सयित्त पृथ्वीनी विराधना श्याने जले, सिंहना लय मनपार्नु मान्य राजी, पृथ्वीडायनी सा डरी. पोतानां उन्मार्गगामी शिघ्योने हेडाऐयायपा, से मायार्य लापंत, सेमनी पाछण-पाछण गया. शिघ्यो तो सयित्त-सचित्त माटीनी परवा • पिना घोडतां हुतां. आयार्यलायंत तो पृथ्वीडायनी हिंसा नथाय भाटे, नया राणीने तां हुतां. सेना सयाना साथी सिंह खाप्यो. ने सयित्त पृथ्वी पर फा महीने लागी नत, तो जयी नात. पए, पृथ्वीडायनी हिंसान थायखेभारे, खायार्थ लगते कालागी पाना जसे, त्यांन मनशन स्वीडारी सीधुं, सिंहना लस्य जनी गया. पण त्या विशुद्ध मध्यपसाय पारामां यठतांन्यढतां, श्रपट प्रेही मांडीने, डेवगज्ञान पाम्यां सने मोक्षे गया. सावां मरणांत उपसर्गनां प्रसंग पए, पोतानां प्राणानां लोगे पछु, पृथ्वीडायना अवोनी हिंसाधीजययानो प्रयत्न ने महात्मा उरे तो , मापणे पए नुपया शा माटे न पाणी शडीखे। मापाने तो निर्दोष लयोने जयापया भाटे प्राएगीनो अलिान तो नथी सापपो पडवानो . मात्र थोडी मनुगता छोडीमे तो अपघ्या पाणी राडारो. झपरी ने? (रोमां पृथ्वीने मोहवी पड़ती होय, तेयो व्यवसाय न उश्यो. भवाप, पा, तगाय कोरे पोटावया, हुणयी भीन मेऽधी, पर्वतो जीएोमांधी पत्थरो टापया, पत्थरो घडवा, सोनान्याहीनहीरा-डोससा-पत्थर-त्राटी पोरेनी पाए मोहापवी, डेरोसिन पोरेना या, मोरिंग, पंपो कोरे मोहावया, मानो मनापपा पाया माटे जमीन मोहावी - मा बधामा पृथ्वीमाय, पनस्पतिहायसने नसहायनी लयानहु हिंसा घती होवाधी, तेवा व्यवसाय नोहरी, डरया नहीं. यधावां मनरा, तगेलो येवडा, डेगा पेर माहि डोपिया इरसाए। जनापती पणते यूला उपर से डायं सयित्तनी नपायतो
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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