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________________ 36 No. Date हागीनां जेटले, प्रलु पुनहि झर्यो सिवाय; भे राज्य होय तो, पहेरवानी सहंतर त्याग दुरखो. खाने भेजमनां सीधे, लूंटाई भवानां लयथी हागीनां पहुंरखानो त्याग दुरखाथी खात्माने साल नथी. परंतु, भवध्यानो खाशय होवो भेर्धखे, तो खात्माने लाल थाय. (19) भे पायरवा ४ पड़े खेभ होय तो, हागीनाखोनुं प्रभाग वधारयुं नहीं. शोख खातर design वारंवार जहलाववी नहीं. (12) जहारथी ललडाहार जने खाकर्षक बनावेल हागीनानी हुडाननी जानुमांथी पसार थतां, हागीनाखोने गमाडवानी लूल न दुराय. अन्य डोर्घउने हागीनानी खरीही माटे न्युं होय त्यारे पए। तेमनी साधे भ्वानुं राज. डारगडे, हागीनानी हुडाने गया जाह, मनथी गमाडवानुं खथवा पालीथी हागीनानी प्रशंसा डरखानुं मे यर्ध भय तो ते घगीना बनावतां पूर्वे थल असंख्य पृथ्वीजयनां भुवोनी विराधनानी अनुमोहनानां माध्यमे खायाने दंड जागे छे. खाने तो समभुगना जलावे, डोर्धईना हागीनानी जरीही भाटे साधे खाववा जन्यने खामंत्र। मजे सने भे तमने खामंत्रा नमजे, तो राम थपाने जहले जोतुं सागी भय छे, दुःखी थर्छ भ्वाय छे. डोई न बोलावे तो राम थवानुं डे, 'सारं थयुं, मने न बोलाव्या, हुं जयी गयो, डारग डे, भे भने जोलाप्यां होत, तो जिनन्दरी खसंज्य पृथ्वी डायनां भवानी विराधनानो दंड मारे माथे लागी भत (खनुमोहना द्वारा).' (95) रस्ता उपरथी पसार थतां, रस्तानी जादुमां रहेल, जेतरोमां तैयार धयेल सरस मभनो पाङ तथा लीली हरियाणी भेर्धने, लूसची प तेनी प्रशंसा न दुराय. भे तमे प्रशंसा डरखा गयां अथवा तेने मनथी गयाडयां गया तो, खेतर खेडती वजते अथवा पाए तैयार डरवा माटे थयेल जसंजय पृथ्वीद्वायनी भुवहिंसांनी अनुमोहनानो दंड तमाश माथे सागी भय. डारगडे, जसंच्य पृथ्वीअयनी हिंसा थया जाह ४, जेतरमां खा पाए तैयार थयेल छे. (20) जिनकपुरी सजाएवाणां जगजो अथवा लग्ननी दूनी पत्रिडाखोना संग्रहनो निडास दुर्ध रीते डरपो ? समय राजो डे, पहेला नंजरमतो, डागण इडायन नहीं. परंतु, जिनभरी डागलोना ढगलाखोनो निहाल डरपो ४ होय खने लोडी विगेरेनां पग नीथे न इयडाय ते भाटेनो उपाय दुरवो होय तो, नयागापूर्वक, जगणनां नानां-नानां टूडडारजो उरीने, स्वालाविपणे रस्तानी जानुमा रहेल दूना जाडामां परवीने, KOKUYO W-N8280U
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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