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________________ No. Date . . | जाली ययेल मारसनी जाए, शरी पाछी लशई तां कोया भणे छे, त्यरसाहनुं पाएगी पोरे पोरा इपे मणतां). धूण स्परपे रहेल पृथ्वीडाय, समय पसार थतां, धृगमायी धीरे-धीरे डीने टेझं स्वश्पे थाय सने त्यारमा, इंडी-गरमी-परसााहि पातापरामांधी जोर भणतां, खाण रतां घए वर्षे, मोटी शीला स्परपे (नकर अवस्थामा यतां लेवा भणे छ डे ने यहवा माटे, १०-१प भाएातो पए मोछां पडे छे. - जोराउना साधारे खापा घटाडी पधारो तो टेलसाहि सनुप पार्थोमां ज्यारेय पा लेया ननणे. तेथी पृथ्वीडायमां अप छि, मेघु सिह घy. सयित्त पृथ्वीडाय स्पपे रहेस अायां भीडानां नानाडां पियानां, भेटु | नानी यपटीमा पए, सोछामां सोछां ससंध्य पृथ्वीडायनां जपो रहेस होवाधी, पृथ्वीडायनी हिंसा थाय त्यारे, खोछामां खो जसंज्य भुवोनी विराधना थाय. तेथी, जयहिंसानी मारली मोटी संज्या (Guantitu)ने नार साने राजीने, पृथ्वीडायनां योनी हिंसाची जयवा भाटेनां राष्ट्रय मेटसा प्रयत्नो डरयां. मात्म-तत्य तो रेड ब्यमांड सरमा न होय छे. पछी लसेने ते मेडेन्द्रिय होय जेन्द्रिय होय पंयेन्द्रिय अप होय. तेथी, डागनुजगतिपूर्व, पृथ्वीठायनी विराधनाधी जयवानो प्रयत्न उरयो. अपिए जपने भरपुं पसंह नधी. सापाने पए ले पीडांसने मृत्युपसंह नहोय, तो पछी, नील निधनपोने पीडां मृत्युखापवानो सापएने \अथितार छे? जीनं गुयोने नपुं गुपन मापी राहीसे तो सारंगछे, पण ने से शयन जने तो पए हाय यातशे. परंतु, आपएी शारीरिs शाता माटे हे प्रनाथी, लीन ससज्य निर्दोष जुयोने हिसामना पहायाडवी, ते तो राय अथित नथी. KOKUYO W-NB2BOU
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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