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________________ No. २८२) Date Date : : थति मोह : लोडनां मध्यमा होपाथी तेने 'भध्योऽपए दुहेपाय छे. तेभांतियंय सने मनुष्यो रहे छे. वणी तेमां, ज्योतिषाया, मेरुपर्वत नमुट्ठीपाहि मसंप्य द्वीप-समुद्रो, तथा मेरुपर्वत पैताध्य पर्वतापगेरे उपर छ तिर्यग्ला पोना स्थानो पर छे. तथा नीयेनांEO योन सुधीमां पाएाप्यंतर भने प्यंतर योनां स्थान छे. खाम, तिप्लिोऽनी थाई १८०० योन्डन छे. ( अधोलोड : तेने पातागलो पएहेपाय छे. त्यां नरगतिनां न्नुपी रहे छे. मने 10 लपनपति तथा पप परमाधिाभी योना स्थान पर मधोमोडमा मायेस छेमा अधोलोड ७ शत प्रभाए। यो छे. ___ या रीते, नुपने रहेपानां नए खोऽ' छे , मन गतियार' छे , 'योनि- योर्याशी साजछे बने प्रडारो- अनंता छे. उपरोऽत्त रीते १४ रालोऽनुं पहन लायां जा, तेना प्रत्येक साठाशप्रटेशभां सापए यात्मा, सज्ञान-मिथ्यात्पपरा, अनंतानंतपारन्म-मरानां देश ऽरी यूध्यो छे. मेहडीत, सोऽन्स्पलाप लापनाना सल्यासथी, दृष्टि समक्षु पापी, सभ्यगहर्शना प्रगटापपा , तत्पज्ञाननो नितासापूर्व। गुरुलगपंत या मल्यास डरयो री छे., घी, पर-परिहातिनो छह डरनारी निर्मण मात्म- परिहाति प्राप्त थाय. सम्यग् दर्शन-ज्ञानयारिननी साधना द्वारा, साध्य मोसुनी प्राप्ति सुबल अने, तेभा र मनुष्य तन्मनी सार्थऽता छे. KOKuYo W-NE2800
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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