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________________ No. ( 2.2 Date साना सापही त्यां रहीसे छीसे, ते सोड' नीयेना तण लागमा शडु माडारे 3 रकछु पहोलो छे. त्यांची उपर अनुऊने घरता रन्तु उपराना त्यां नरकप्पु थापत् पहोणो रहे छे. त्यारणा, उपर पहोणो यतो, उपर पु उपर लापतां पर पहोणो छ, पछी- उपर घटता-घटतां उर रहमे छल्ले पराठ पहोगो रहेछ. मेम संपूर्ण टोड, नीयेथी उपर सुधी सीधो पर रकुनी मांगो छे. प्रिसनांडी : भघरना भध्यलागमा थाललो अलो होय, तेम सा लोग्नमध्यमागमा पारा पहोणो. अने. १४ रक्कु नीययी उपर सुधी सांला स्तंल वो खाडाराषिलाग प्रसनाडी' हेयाय छे.. मा सनाडीनी अंदर प्रस मने स्थापर बंतेप्रडारनां ब्लुपो छे. न्यारे सनाडी-जहारना सोडाशमां भान खेडेन्द्रिय स्थापर नुवो न होय छे, खेरले डे, नस जपो नहोय. पानीय लोड जुषामने अनुषधी. संपूर्ण लरेसो छ. सोऽमां मेवी ध्याय नव्या नधी व्हयां नप न होय सने परमाणु पुहगल न होय. टोडाडाशना भुम्याउलेह या हीनोऽति लोड एस्पर्श उपलोड) मृत्युसोड मध्यलोड घोसोऽ (पाताणलोड डे नरह) (णीर्घलोडतेने स्वर्ग हेवलोड तरी. पा सोणमाय छे. ते यामां पट०० योल्न न्यून राष्ट्र प्रभाए छे. सोडाग्रस्थानेधी नीये नीये मश: सिद्ध परमात्मा, सिद्धशिला, पमनुत्तर विमान, E |पेया, पर वैमानिक हेयसोड रहेला छे. ते उपरांत सोडांति मने उडिस्नीधिड पोनां स्थानो पा छे.
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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