SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 232
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४०. No. (२२) Date . . साथे पराजया तो द्विणः बने छे. माटे, भेथीनो उपयोगडरपोक नहीं. तेनां स्थाने, जुरंगपापरपाधी आमयी जय. जरही पर डीडी, मंडोडा पोरे न यडे, तेनी संलाण पी. जरणी योग्य स्थाने राप्नवी, संधारामां न भूपी. सथाj लेतां-- भूतां, नीये छांटो न पड़े, तेनी संलाण सेपी. नहीं तो, डीडी पगेरे लेगां थर्ड नपानो संलव छ तेथी भोटी पिराधना थाय जनरं सघाएां फोरेमा उपर मुहमनी होई जाण प्रायः देवाती न होय, भाटे ते 'सलट्या छेपणी, तेभा,तेमाडे नहीं ते भाटे, रसायगो लेगषवामा खाछे, रे मारोग्य माटेपा घाता छे. माटे, जलरंगमधाएां ही पापश्यां नहीं. सपशे ने । लाभूग, वीसी एनहर, या, गरमर, गार, तीली पांस, मसलारनामीछानांपाशीयाणां सीसांभरीमायोरे प्रथमधीर 'सलल्यछे. माटे, तेनां मयाए पए मलत्य' गाय. ते पपशय नहीं: पापरयामा मसज्य जेन्द्रियाहि योनी तथा निगोह-शास्सिनंता अयोनी विराधना थाय छे, खात्मामधथी लारे बने छेसने लपांतरभा छुर्गतिमा न्युं पड़े छे. शुंज्युं छ । मते वियारो. सारे घ घरोभां, नाहीतुंभेणपएा नांजवानो साग्रह मथपा उपयोग राय छेलेयाली शडे नहीं. ही पिसे बलत्या धई लय छ- ते खागण विस्तारपूर्व नापेष छे. तेमुनमनही 'सलट्यछे, तो पछी, तेना द्वारा जनतुं नपुंछी पए मलप्या नशे. भाटे, गृति राणीने, मायण पाणपानी गछे. यां घरोमांक शुऽननी मान्यता- मांगलिऽ पे पाएगा, हींमेगपए रघुपए डायम भाटे, घरमा राप्रपामांसापे. अने महारगाम लय त्यारे'पए, शुधनाभाटे, थोडंही घरमांराणी भूडाय छे, रेयाली न शडे, मने तेनो उपयोग पए डरी शडाय नहीं. (तेनां धारो विस्तारथी मागण समन्नप्यां छे, भाटे, ना प्रहारनी श्रवणी मान्यताथी हूर थर्डने, या प्रवृत्तियोनो त्याग डरी, मोटी , पिराधिनाथी षयपार्नु उरष. जे हिपसी पधारे सूनुं भेगपए यापरवामां, मसंज्य मेन्द्रियाहि नस योनी उत्पत्ति तथा पिराधिना थाय छे.
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy