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________________ कपिछा घोलपडां-हीवडा, हिरणालय भांथी लेखन नीडणे, असरानी झाडाथाय सने लाडनाइणपन होय, तेणिहोणनो, डायांवर ही छाश साये संयोगाच्याथी तुरंत जेन्द्रियः जुयो उित्पन्न बाया. छे. अपहिंसानीरासाये-साथे शरीर आरोग्यपामा छे द्विहणजे प्रलुप्तो मलय' इपे हे छे. मान्मह-मन्यातुवेर-पासन्योमानाडुभष्टीयां मसुर-पालोरडमधीम्या सांग-भेथी- लीसवांन्शुपार तथान्ते होणनां सीवान सूहां पांडांला तथा लोट- हाणामने तेनी तमाम जनावटोयोरेज द्विष्णगाय छे. सभेधीनो सालाराधीनां सथाए, तमाम घगोभेथीथी यधारेली उटी, सेय, गांडिया, सभा छोडणां, पापड, jही, पडा, लग्नुयां पगेरे साये डायां दूधही जे 'छाशनोयोगाथतांसलट्या धाया छे..श्रीजंडन्हीं-छाश साथे होणपाएं लोन लेवायनहीं प-ही-छाशने सारी रीते जरामर ारमा पछी, ते हंडी थयेस पस्तूसाये, होगनी सीने को पपराया,तो द्विष्णनो बोधा नथी. होऽपिएा. लोहन भती पपते, द्विष्ण' नथायः, तेनी प्राप्त डाण-शपपी. सहारनां हीवडा तो, छाया हीना होवाधी, मलाय छे.सेल रीते डिसी, टोसा, मांडपीछीवडा फोरे होरेस साटि स्थणो पर मधया सरन माहि बहारना प्रसंगोमा अनेस होया, तेजधाभां, हिष्ण यवानीपूर्ण संलापना होवाधी, वपशय नहीं हारा डे, महार जनेल मालनधी रसाएशोभायडमाहिनोलोट होवाधीडायां छी-छाश माहिसाये. मिश्रा यांनी सायोलमसंन्यबेन्द्रिय ब्लुयोनी उत्पत्ति धपाधी, ससष्य ठन्द्रिय पोनी विराधना थाय छे. घरमांग पए मनेल साइरसाएो तो यापरी रडायनेमनापती यमते, जायां हीने पूरे प्यवस्थित डाणीने पछी हातेमां थए., सडा साटि, टुहोण नंजाय..ही-छाराने..थोड़-घघुनपसेढुं Gडाकपा मालथी न थाले. परंतु, उडाणेलां पाणीनी भ, रेपूरं प्यवस्थित उडाण्यां जाहन्दतेमालोटर साहिन्नाजी शहाय. घाटीपार तो हीने पधारे उडाणपा, तां, तेमां शेहां-जहां घर्ष न्वानी संभावना होवाधी, ने डायां ही- छारामां, योनानी थोडी वोट सथपा जायरानो थोडो लोट मथपा थोडं भी नानीने,
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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