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________________ No. ૧૫૮ Date जिल्डींगनां इम्पाउन्डमां के जन्यत्र सील न धूर्ध भय, तेनी आ વરસાદ આવે તે પૌલાં જ, લઈ લેવા જઈએ. કણું હૈ, ચોમાસાનો वरसाह सेउवार श३ थया आह, सतत ने सतत लीनाश रहेवाने सीधे, धर्ध गोल लीलधी, अथवा भाटेनां योग्य उपायों एरीनशडाय. सील धर्म गयां आह, नेनां उपर पत्र चाए। न भूडाय के तेनो नाश पान कराय. तेने जडवा मात्रथी पाएा, अनंता भवोनी विराधना धर्ध लय. : ·· रजा विराधनाथी अथवा भाटे, समत विवेडी श्रावड़ो तो, परसाद श३ थथा पूर्वे 8, घरनी બહાર કઉન્ડમાં જવાં-આવવા नां रस्ता उपर Sाभरनो के सदेह उलरनां शोधेल येथेन्ट जो यहो डरावी हे छे डामर अथवा सोर्धल येथेन्ट गरम होवाथी, लीलनी उत्पत्ति ४ थवा नहे. रजा अजय के न रजाय तो, धरनां तभाभ सहस्यो तथा जिल्डीगनांत - तमाभ भेम्जरो, भेटली - केटली वार उभ्याउन्डभांधी पसार थाय, नेटली - तेटली हरेङ वखते, सील उपर पापवाने सीधे, अनंता भुवोनी विराधना थाय छे से उपरांतमां, उम्पाउन्डमा लील अर्ध गयेल जिल्डींगनां धरोभां तो, पू. साधु-साध्वीभ भगवंतों, गोयरी-पाजी पहोवा न खावी थडवायी, श्रावको खे सुपात धाननो उत्तम लालथी पागु, पंथित रहेषु यडे छे, सरेह खोल पेन्टो पट्टो, खेडलो भारवाथी न थाले. एडे, भुंजर्धनो मुशज़धार - घोधभार परसाहभां तो, भरायेल सह पट्टो, २-४ हिवसमान नीडजी भय, आ. रंग लांलो समय वरसाध्मां या रखी रहे, ते भाटे सोल मेन्टनी साथे अमुङ यीडाश वाजां डेभीडल महार्थो लेजव्यां जाह, को यट्टी भराय तो लारे परसाहमा पाए, पट्टो न नीडजे, मात्र याला माटे उपयोगी घाय, तेवो जे छूटनी भडार्थ पाजो सदेह यहाँ न रुखो, परंतु, तमाशं स्कूटर, गाडी साहि वाहनों पाए सहेलाईधी पसार शर्ध शडे सने छतांय सीलनी विराधना नथाय, तेवी चट्टो उभ्याउन्डमा मशववानो होथ लील- निगोहमां अनंता भवो होवाथी, श्रा भोटी हिंसाथी जथवा माटे, हरेक गृहस्थोथे अवश्य प्रयत्नशील रहेको ..अवध्थानां जावामां उध्ज्य रप-10 साजनी रङम सामाववायी थे. लाल भणे तेना, डरता पाए, समयसर डाजम पूर्वछु सह पट्टी बोभासा पूर्वे भरावीने, घर तथा जिल्डींगनां तमाम सहस्योने अनंतकायनी विशधनाथी अथाववानो लाल, जनेऊ ध मोटो भजे छे, जमुङ भागों निगोहनी विशधनाथी जथवा भाटे KOKUYO W-NB280U
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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