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जैनधर्म की कहानियाँ भाग-23
वे मुनिवर यह सब वृत्तान्त कह रहे थे तब नेवला, सिंह, बन्दर और शूकर ये चारों जीव वहीं समीप बैठे थे और शान्तिपूर्वक मुनिराज की
ओर टकटकी लगाये देख रहे थे। यह देखकर आश्चर्य से वज्रजंघ ने पूछा - हे स्वामी ! यह नेवला, सिंह, बन्दर और शूकर यह चारों जीव यहाँ मनुष्यों के बीच भी निर्भयता से आपके मुखकमल की ओर दृष्टि लगाकर क्यों बैठे हैं ? तथा इन्होंने ऐसी निकृष्ट पर्याय किस कारण प्राप्त की?
उसके उत्तर में मुनिराज ने कहा - सुनो, राजन् ! यह सिंह आदि चारों जीव आहारदान देखकर परम हर्षित हो रहे हैं; ये भी भविष्य में तुम्हारे पुत्र होकर मोक्ष प्राप्त करेंगे।
यह सिंह पूर्वभव में हस्तिनापुर में एक व्यापारी का पुत्र था, परन्तु तीव्र क्रोध के कारण मरकर सिंह हुआ है। ___यह शूकर पूर्वभव में एक राजपुत्र था, परन्तु तीव्र मान के कारण वह मरकर शूकर हुआ है। - यह बन्दर पूर्वभव में एक वणिकपुत्र था, परन्तु तीव्र माया के कारण मरकर बन्दर हुआ है। ..
यह नेवला पूर्वभव में एक हलवाई (मिष्टान्न-विक्रेता) था, परन्तु तीव्र लोभ के कारण मरकर नेवला हुआ है।