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__साहित्य प्रकाशन के अन्तर्गत् जैनधर्म की कहानियाँ भाग १ से १९ तक एवं लघु जिनवाणी संग्रह : अनुपम संग्रह, चौबीस तीर्थंकर महापुराण (हिन्दीगुजराती), पाहुड़दोहा-भव्यामृत शतक-आत्मसाधना सूत्र, विराग सरिता तथा लघुतत्त्वस्फोट, अपराध क्षणभर का (कॉमिक्स)-इसप्रकार २७ पुष्प प्रकाशित किये जा चुके हैं।
जैनधर्म की कहानियाँ भाग १९ के रूप में राजा कीचक और द्रोपदी की भवावलि, देखो! स्वरूप की आराधना का फल,रात्रिभोजन-त्याग का फल, श्री जीवन्धरस्वामी का चारित्र, स्वावलम्बन बढ़ाओ! आदि पौराणिक कथायें एवं षट्लेश्या, संसार-वृक्ष आदि सैद्धान्तिक कथाएँ और लघु बोधकथाएँ -इसप्रकार कुल १४ कहानियों को प्रकाशित किया गया है। ये कथाएँ जिनके द्वारा लिखी गई हैं, उनके नाम कहानी के ही साथ दिये गये हैं, हम उन सभी के हृदय से आभारी हैं, इनका संकलन एवं सम्पादन पण्डित रमेशचंद जैन शास्त्री, जयपुर ने किया है। अत: हम उनके भी आभारी हैं। ___ आशा है इन पौराणिक, सैद्धान्तिक एवं बोधकथाओं से पाठकगण अवश्य ही बोध प्राप्त कर सन्मार्ग पर चलकर अपना जीवन सफल करेंगे।
साहित्य प्रकाशन फण्ड, आजीवन ग्रन्थमाला शिरोमणि संरक्षक, परमसंरक्षक एवं संरक्षक सदस्यों के रूप में जिन दातार महानुभावों का सहयोग मिला है, हम उन सबका भी हार्दिक आभार प्रकट करते हैं, आशा करते हैं कि भविष्य में भी सभी इसी प्रकार सहयोग प्रदान करते रहेंगे।
विनीतः मोतीलाल जैन
प्रेमचन्द जैन साहित्य प्रकाशन प्रमुख
अध्यक्ष
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