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अध्यात्म रामायण राम-रूपी जीवात्मा अपनी अनुभूति-रूपी सीता से बिछुड़ गया। मिथ्यात्व-रूपी रावण उसे हर ले गया। लक्ष्मण-रूपी व्यवहार को साथ लेकर भटकते-भटकते राम की सुग्रीव-रूपी शास्त्रज्ञान से भेंट हुई, परन्तु साहसगति विद्याधर-रूपी मिथ्याज्ञान उसका (अर्थात् सुग्रीव-रूपीशास्त्रज्ञान का) वेश बनाकर उसके घर में बैठा रहा । राम ने मिथ्याज्ञान-रूपी साहसगति का नाश किया और शास्त्रज्ञान-रूपी सुग्रीव का साथ किया। उसने राम को हनुमान-रूपी सम्यग्दर्शन से मिलाया । वह उनकी अनुभूति-त्रिया की खबर लेने गया। राम ने उसे अपनी पहचान के लिये चैतन्य-अस्तित्व-रूपी मुद्रिका दी। हनुमान राम की सीता-रूपी अनुभूति-त्रिया से मिले और मुद्रिका दी। सीता ने बदले में निराकुलता-रूपी चूड़ामणि राम को देने के लिए दी, जिससे उनको विश्वास प्राप्त हो जाय । राम ने सुग्रीव-रूपीशास्त्रज्ञान, हनुमान-रूपी सम्यक्त्व और भामण्डल-रूपी सम्यग्ज्ञान को साथ लेकर, अनन्तानुबन्धी चतुष्क-रूपी समुद्र को पार करके लंका पर चढ़ाई की। तब मिथ्यात्व-रूपी रावण कुंभकर्ण-रूपी असंयम और विषयाभिलाषा-रूपी इन्द्रजीत को साथ लेकर लड़ने को चला। विभीषण-रूपी शुभोपयोग ने बहुत मना किया। जब मिथ्यात्वरूपी रावण नहीं माना, तब वह उसको छोड़कर राम से आ मिला। अशुद्धोपयोग-रूपी मन्दोदरी ने सीता को बहुत लोभ दिया, पर आत्मानुभूति-रूपी सीता उसका साथ देने को तैयार नहीं हुई। आत्मा-राम ने मिथ्यात्व-रूपी रावण से भारी युद्ध किया। कुंभकर्णरूपी असंयम और इन्द्रजीत-रूपी विषयाभिलाषा बंदी हो गये। रावण-रूपी मिथ्यात्व का नाश हुआ और फिर राम, हनुमान, सुग्रीव, विभीषण तथा भामण्डल के साथ जाकर अपनी अनुभूतिरूपी त्रिया से गले मिलकर सुखसागर में निमग्न हो गये।
- अध्यात्मयोगी राम से साभार