SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 290
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर्ता : श्री पूज्य विनयविजयजी महाराज 2 श्री नमिनाथने चरणे नमतां, मनगमतां सुख लहीऐ रे भवजंगलमा भमतां भमतां, कर्म निकाचित दहीए रे,श्री नमिनाथ. १ समकित शिवपुरमाही पहोंचाडे, समकित धरम आधार रे श्री जिनवरनी पूजा करीए, ए समकितनुं सार रे, श्री नमिनाथ. २ जे समकित थी होय उपरांठा, तेनां सुख जाय नाठां रे जे कहे जिनपूजा नवि कीजे, तेहगें नाम नहीं लीजे रे, श्री नमिनाथ.३ वप्राराणीनो सुत पूजो, जिम संसारे न ध्रुजो रे भवजलतारक कष्ट निवारक, नहि को एहवो दूजो रे, श्री नमिनाथ.४ श्री कितीविजय उवजझायनो सेवक, विनय कहे प्रभु सेवो रे, त्रण तत्त्व मनमांहि अवधारो वंदो अरिहंत देवो रे, श्री नमिनाथ.9 २४२
SR No.032220
Book TitlePrachin Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHasmukh Chudgar
PublisherHasmukh Chudgar
Publication Year
Total Pages384
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy