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________________ कर्ताः श्री पूज्य हंसरलजी महाराज-2शुभ वेळा शुभ अवसरे रे, लाग्यो प्रभु शुं नेह वाधे मुज मन वालहो रे, दिन दिन बमणो नेह - अजित-जिन! वीनतडी अवधार, मन माह लागी रह्यं रे तुज चरणे एकतार-अजित०(१) हीयडु मुज हेजाळवू रे, करी उमाहो अपार घडीघडीने अंतरे रे, चाहे तुज दीदार-अजित०(२) मीठो अमृतनी परे रे, साहेब! ताहरो रे संग नयणे नयण निहाळतां रे, शीतळ थाय अंग-अजित०(३) अवश्यपणे एक घडी रे, जाये तुज विण जेह वरसां सो ममसाहिबा रे! मुज मन लागे तेह-अजित०(४) तुजने तो मुज उपरे रे, नेह न आवे काय तो पण मुज मन लालजी रे, खिण अळगो नवि थाय-अजित०(५) आसंगायत आपणो रे, जाणीने जिनराय दरशण दीजे दीन प्रते रे, हंसरत्न सुख थाय-अजित०(६) १४
SR No.032220
Book TitlePrachin Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHasmukh Chudgar
PublisherHasmukh Chudgar
Publication Year
Total Pages384
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size27 MB
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