SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रभु सन्मुख बोलवानी - भाववाही प्रार्थना सोमवार निगोदमां ज्यारे हतो करूणा करी आपे घणी उगायों महादुःखथीने आप थया शिवपुर धणी; आत्म विकास थतां प्रभु, जाण्यो तने त्रिभुवन धणी, कृपाकरी पहोंचाड मुजने, मुक्ति नी मंजिल भणी...॥ सहु आप्तना शिरदार हे जगदिश तुं एकज सदा, मुजने मल्यो तुं सकल मनने, ईष्ट आपे संपदा; हे नाथ निज सेवकगणी, मुजने स्वीकारो नेहथी, तुलना घरूं हुं ताहरी, उत्कर्ष पामुं जेहथी...॥ तुंमुज विषे हुं तुजविषे नथी भेदभाव जरा हवे, हुं तुं बनु बस एज लगनी, याद करूं हुं क्षण क्षणे; तुं योगीओने गम्य छेने, भक्त जनने बहु गमे, मन वाणीथी गुण वर्णवू, आशिष तुज चरणे झूके.... ॥ मंगलवार एकान्तनी पलों विषे तारी कने आवी प्रभु, अंतरतणी व्यथा बधी, खाली करूं तुजने कही; भव अनंत किधा घणाने, वेदना अगणित सही, मुरझायेला आ बालने, उगारी लो हे तातजी....॥
SR No.032214
Book TitleSurendra Bhakti Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPiyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
PublisherShatrunjay Temple Trust
Publication Year2003
Total Pages68
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy