SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्तवन - २६ (राग : मारी ओक तमन्ना छे) आज मारा नयना सफल थया श्री सिद्धाचल निरखी गिरीने वधावू मोतिडे मारा हैयामां हरखी ॥१॥ धन्य धन्य सोरठ देशने, ज्यां ओ तीरथ जोडी: विमलाचल गिरनार ने, वंदु बे कर जोडी ॥ २ ॥ साधु अनंता इणगिरी सिध्या अनशन लेई; राम पांडव नारद ऋषि बीजा मुनिवर केई ॥३॥ मानवभव पामी करी नवि ओ तिरथ भेटे; पापकर्म जे आकरां, कहो केणी परे मेटे ॥ ४ ॥ तिरथराज समरूसदा सारे वांछित काज; दुखः दोहग दूरे करे, आपे अविचल राज ॥५॥ सुख अभिलाषी प्राणीया, वंछे अविचल सुखडा | माणेक मुनि गिरिध्यान थी, भांगे भवोभव दुःखडा ॥ ६ ॥
SR No.032214
Book TitleSurendra Bhakti Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPiyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
PublisherShatrunjay Temple Trust
Publication Year2003
Total Pages68
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy