SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ २९ ] 1 मौन अग्यारसी महिमा जाणी, कृष्ण आगले नेमिनाथ वखाणी, मनमांहि धरो शुभ प्राणी | अतीत अनागत ने वर्तमानी, नेउ जिनना हुआ कल्याणी, अवर न एह समाणी || मागसिर शुदि ग्यारसनी ठाणी, वरसी वारु दिन मन आणी, पर्वमांही पटरानी । महायश प्रमुख नाम शुम प्राणी, वारे करम अगनिनि छाणी, पापपंक विसराणी || २ || आगम मांही अरथ संभाली, गणधर देवे कही रढीयाली, ग्यारसी अजुवाली । भावधरी जिने प्रतिपाली, तेह घरी ऋद्धी वृद्धि सुविलाशी, गुण गाए सुर आली ॥ मौन करी आठ पहोर मनवाली, राग द्वेष सवि दूरे टाली, तपफल हुए टंकशाली । श्री जिन नामे पाप पखाली, पहेरी पवित्र वस्त्र विलासी, व्रत लिये पौषधशाली ||३|| मौन अग्यारसी दिन जे ध्याई, विधीपूर्व जिननाम गणाई, सुकृत भंडार भराई | वर्धमान जिनवर गुण गाई, सिद्धायिका मातंग जक्षराई, नामे विघन पलाई || एह सानिध्य संपूरण आय, पाप ताप संताप न थाय, वाधे बहु जस वाय । चविह संघ मनवांछित पाय, दुःख दोहग दुरगति सवि जाय, कहे राजरत्न उवज्झाय ॥ ४ ॥
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy