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________________ सुरपति धरणेन्द्रनी देवी, पउमावई अपच्छर सुरसेवी, प्रभु गुण गीत थुणेवी । सजी सोले सनगार साहेली, अमर दीव्यांबर अंग धरेवी, गजगति चाल चलेवी ॥ जे जिन ध्यान धरे नित्यमेवी, तेहना वांछित सयल पूरेवी विघ्न हरे ततखेवी ॥ माता माहरी अरज मानेवी मेघविजय गुरु, सुजस वरेवी, भाणनी जयत करेवी ॥४॥ ५ महावीरस्वामी की स्तुति का जोडा (राग-जिन शासन वछित पूरण देव रसाल) शासन नो नायक जिनवर श्री महावीर, सिंह अंक मनोहर, सोवन वरण शरीर । प्रभु नाम जपंता दुरगति दूर पलाय, महिमा जग वाधे नामे, नवनिध थाय ॥१॥ ___ चोवीशे जिनवर मुगति तणा दातार, संजम गुण भरीया, तरीया भवि संसार । आनंद सुख लीला विलसे तिहा महाराज, भवि भाव धरीने, वंदो ते जिनराय ॥२॥ इन्द्र भूति गणधर विनवे वीरजिणंद, मुगति कदि जाउ, ते भारवो जिनचंद । सामि तव भाखे मोह तजो निरधार, होशो तुमे त्यारे, मुगति वधु भरतार ॥३॥
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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