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________________ [ ] इन्दौर पधारे । सं० १९९० का चौमासा इन्दौर में हुवा और चौमासा में वर्द्धमान तप का पाया डलवाया । वीस स्थानक तप विगैरा बहीनों को कराया । सुन्दरबाई महिलाश्रम में ९ त्रस्टी बनवाये । वे सज्जन इस संस्था का बराबर व्यवस्था कर रहे हैं । चौमासा संपूर्ण होने पर देवास मक्सीजी, शाजापुर, सारंगपुर होते नलखेडो पधारे । वहां पर अनेक प्रकार से उपदेश देते हुवे श्रावक-श्राविकाओं ने व्रत पच्चखान का अच्छा लाभ लिया । फागण चौमासी करके आगर तरफ पधारे । वहां पर नवपदजी कि ओली 'विगैरे तप का उजमणा कराया। इसके पिछे पिपलोन गांव में गये । वहां ३५ घर के श्रावक-श्राविकाओं को उपदेश देकर व्रत पच्चखाण प्रभु पूजा आदि धर्म कार्य में मजबूत बनाये । इसके बाद आगर श्रीसंघ कि अत्यंत आग्रह भरी चौमासे कि विनंती होने से सं० १९९१ का चौमासा आगर हुवा । चौमासे में धर्म उपदेश देकर अनेक प्रकार के व्रत पच्चखाण वितराग देव की सेवा पूजा में ५०-६० घर को अत्यन्त दृढ़ बनाये । वहां पर फुलकुंवरबाई नाम की श्राविका को गुरुदेव की वैराग भरी वाणी सुनकर चारित्र लेने कि शुभ भावना हुई । चौमासा पूर्ण होने पर बड़ौत, डग, परासली, विगैरा कि यात्रा करी । बोल्या गाँव में मंदिर कि प्रतिष्ठा कराई । वहां पिप
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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