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________________ चैत्यवंदन विभाग (१) आदीजिन चैत्यवंदन . ॥१॥ विमल-केवलज्ञान कमला कलित-त्रिभुवन-हितकरं ; सुरराज संस्तुत-चरणपंकज-नमो आदि जिनेश्वरं ॥१॥ विमल गिरिवर शृंगमंडण प्रवरगुणगण-भूघरं, सुर-असुर किन्नर-कोडीसेवित नमो आदि ॥२॥ करती नाटक किन्नरी गण गाय जिनगुण मनहरं, निर्जरावली नमे अहोनिश-नमो आदि ॥३॥ पुंडरीक-गणपति सिद्धिसाधी कोडी पण मुनि मनहरं; श्री विमल गिरिवर शृंग सिद्धा नमो आदि ॥४॥ निज साध्य साधक सुर मुनिवर, कोडिनंत ओ गिरिवरं ; मुक्ति रमणी वर्या रंगे नमो आदि ॥५॥ पाताल नर सुर लोकमांही, विमल 'गिरिवरतो, परं ; नहीं अधिक तीरथ तीर्थपति कहे-नमो आदि ॥६॥ अम विमल गिरिवर शिखर मंडण, दुःख विहंडण ध्याईये; निज शुद्ध सत्ता साधनार्थ, परम ज्योति निपाईये ॥७॥ जित-मोह-विछोहनिद्रा, परमपद स्थित जयकर, गिरिराज सेवा करणयत्पर पद्म'विजय सुहितकरं ॥८॥ ॥२॥ आदिदेव अलवेसरू, विनितानो राय नामिराया कूल मंडणो, मरूदेवा भाय ॥१॥
SR No.032198
Book TitlePrachin Stavan Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivya Darshan Prakashan
PublisherDivya Darshan Prakashan
Publication Year
Total Pages166
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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