SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ कुसुमांजलि ॥ अपच्छर भंडलि गीत उच्चारा, श्री शुभवीर विजय जयकारा॥ कुसुभांजलि मेलो, सर्व जिणंदा ॥१८॥ ॥ अथ कलश ।। सयल जिणेसर पाय नमो, कल्याणक विधि तास ।। वर्णवतां सुणतांथकां, संघनी पूगे आश ॥१॥ ॥ ढाल ॥ देशी एक दिन अचिरा हुलरावती॥ समकित गुणठाणे परिणम्या, वली ब्रतधर संयम सुख रम्या, वीश स्थानक विधिए तप करी, इसी भाव दया दिलमा धरी ।।१।। जो होवे मुज शक्ति इसी, 'सवि जीव करुं शासन रसी' शुचिरस ढलते तिहां बांधता, तीर्थकर नाम निकाचता ॥२॥ सरागथी संयम आचरी, वचमा एक देक्नो भव करी; घ्यवी, पन्नर क्षेत्रे अवतरे, मध्यखण्ड पण राजवी कुले ।। ३ ॥ पटराणी कूखे गुणनीलो, जेम मान सरोवर हंसलो सुख शय्याए रजनी शेषे, उतरतां चउद सुपन देखे ॥४॥ ढाल स्वप्नवी - पहेले गजवर दीठो, बीजे वृषभ पइट्ठो; त्रीजे केसरी सिंह चोथे लक्ष्मी अबीह ॥१॥ पांचमे फुलनी माला, छठे चन्द्र विशाला, रवि रातो ध्वज मोहोटो. पूरण कलश नहीं छोटो ॥२॥ दशमे पद्म सरो. वर, अगियारमे रत्नाकर; भुवन विमान रत्नगंजी, अग्निशिखा घुम
SR No.032198
Book TitlePrachin Stavan Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivya Darshan Prakashan
PublisherDivya Darshan Prakashan
Publication Year
Total Pages166
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy