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________________ [ १४१ ] हे प्रभु तारां धामतो गामो गाम-क्यानामे० कोई कहे शंखेश्वर पार्श्व कोई कहे शामलीयो हे आतो माहरो वहालो जीरावलो पार्श्व-क्यानामे० तुल्लापट्टीना जैन मंदीरमा पुरुषादाणी हो पारसनाथ क्या० धरणेन्द देव देवी पदमावती रे मानजो हमारो धर्म स्नेह क्यानामे० साहिबा हुँ तुम पगनी मोजडी साहिबा हुँ तुम दासनो दास साहिबा ज्ञान विमल सुरी अभभणे साहिबा मने राखो तुमारी पास अकवार मलो ने मोरा साहिबा साहिबा तमे प्रभु देवाधिदेव सनमुख जुओ ने मोरा साहिबा साहिबा मन सुद्ध करुं तुम सेव अकवार मलो ने मोरा साहीबा -०यु अवसर बेर बेर नहीं आवे।। ज्यु जाणे त्यु करले भलाई जनम जनम सुख पावे । अवसर० तनधन जोबन सबही झठो प्राण पलक में जावे। अवसर० तन छुटे धन कोन कामको, काहे कृपण कहावे। अवसर० जाके दिल में साच बसत है ताकुं झूठ न भावे । अवस १० आनन्दधन प्रभु चलत पंथ में सुमर सुमर गुण गावे। अवसर
SR No.032198
Book TitlePrachin Stavan Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivya Darshan Prakashan
PublisherDivya Darshan Prakashan
Publication Year
Total Pages166
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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