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दिविर
अण्णइँ वि अभद्दहि ँ रासह सद्दहि रसियाई । torइँ मसिवण्णइँ लंबर कण्णइँ हसियाई ||
इँ विकिलिइँ मडयचडिण्णइँ रडियाई । अण्णइँ गयवत्थइँ पसरियहत्थ हूँ' डियाई ॥ अण्णइँ सयवयणइँ पिंगलणयणइँ बहुभुअईं । अण्णइँ किमियड्ढइँ बहुदुग्गंधइँ लहु मयई ॥ इँ अपमाणइँ उड्डाणइँ रुंडाई ! torइँ लल्लकइँ मेल्लियहक्कइँ मुंडाई || to
दाढाइँ भिडिराइँ मत्ताइं । मरु मारि भइँ अंगु धुणंतइँ पत्ताई ॥
[ ११.१६.९
[कुवलयमालणी णाम छंदो ]
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घत्ता - एम. विउव्वणहिं जलु थलु णहु रुद्धउ भूवहि अप्पा जमेण णं दरिसिउ णाणावहि ॥ १६॥
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तइ विण चलइ समणु' णियजोयह। णिक्कंपो अगव्वओ ।
जिह खरचडुलपवणपडिपेल्लिउ भासुरु अमरपव्वओ || [ रचिता ] किउसजलु घणु चडुलु हे पिहियदिवसयरु । अणवरयजल पवह परिधविय समय' ॥ तडयडइ तडिचवलु भउ दिसइ सुरणरहँ । खयउलहँ मयउलहँ वणयरहँ विसहर हँ । जणु तसइ तणु सुसइ वर्ण विसइ भयसहिउ । जलथलहँ महिय लहँ जलु वह परअहिउ || पुणु चव जणु सलु खयदि । किमवसरु । हुउ गरुय महिपयरु चउदिसहि जलपसरु ॥
खरसियहत्थ हूँ; क ग घ परसिया । ६ ख मरि पभणंतई ।
१६. १० क ग घ एस । ११ क ख भूर्याह ।
१७. १ ख घ सवण । २ क जलपंकिजसमय दुहणियरु : ख जलपवहवियरंतभसमयरु । ३ घ हवइ । ४ क परयहिउ ५ ग घ किमिवसरु । ( टि० जलदस्वर: ) : ख हुआ गरुय चउदिसिहि अइबहलु जलपवरु ।
६ क जलय सरु
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