SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 187
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३८ दिविर अण्णइँ वि अभद्दहि ँ रासह सद्दहि रसियाई । torइँ मसिवण्णइँ लंबर कण्णइँ हसियाई || इँ विकिलिइँ मडयचडिण्णइँ रडियाई । अण्णइँ गयवत्थइँ पसरियहत्थ हूँ' डियाई ॥ अण्णइँ सयवयणइँ पिंगलणयणइँ बहुभुअईं । अण्णइँ किमियड्ढइँ बहुदुग्गंधइँ लहु मयई ॥ इँ अपमाणइँ उड्डाणइँ रुंडाई ! torइँ लल्लकइँ मेल्लियहक्कइँ मुंडाई || to दाढाइँ भिडिराइँ मत्ताइं । मरु मारि भइँ अंगु धुणंतइँ पत्ताई ॥ [ ११.१६.९ [कुवलयमालणी णाम छंदो ] ७११ घत्ता - एम. विउव्वणहिं जलु थलु णहु रुद्धउ भूवहि अप्पा जमेण णं दरिसिउ णाणावहि ॥ १६॥ १७ तइ विण चलइ समणु' णियजोयह। णिक्कंपो अगव्वओ । जिह खरचडुलपवणपडिपेल्लिउ भासुरु अमरपव्वओ || [ रचिता ] किउसजलु घणु चडुलु हे पिहियदिवसयरु । अणवरयजल पवह परिधविय समय' ॥ तडयडइ तडिचवलु भउ दिसइ सुरणरहँ । खयउलहँ मयउलहँ वणयरहँ विसहर हँ । जणु तसइ तणु सुसइ वर्ण विसइ भयसहिउ । जलथलहँ महिय लहँ जलु वह परअहिउ || पुणु चव जणु सलु खयदि । किमवसरु । हुउ गरुय महिपयरु चउदिसहि जलपसरु ॥ खरसियहत्थ हूँ; क ग घ परसिया । ६ ख मरि पभणंतई । १६. १० क ग घ एस । ११ क ख भूर्याह । १७. १ ख घ सवण । २ क जलपंकिजसमय दुहणियरु : ख जलपवहवियरंतभसमयरु । ३ घ हवइ । ४ क परयहिउ ५ ग घ किमिवसरु । ( टि० जलदस्वर: ) : ख हुआ गरुय चउदिसिहि अइबहलु जलपवरु । ६ क जलय सरु १० ६५ २० ५ १०
SR No.032196
Book TitleSudansan Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNayanandi Muni, Hiralal Jain
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology and Ahimsa
Publication Year1970
Total Pages372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy