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________________ 401 मानवमलीयां, गौतम स्वामीजी चलीयां, प्रभु आदेशे, देवशर्माने प्रतिबोधवा, ।।१५।। पाछा आवतां गौतमस्वामी, सुणे वीर थया निर्वाणी, शोक समुद्रे, गौतम डूब्यां प्रभु प्रेमथी, ॥१६॥ रण- स्वरूपधारे, वीतराग दशा विचारे, उगते सूर्य, पामेते केवलज्ञानने, ॥१७॥ वीरमोक्ष गौतमकेवल, पावापुरी दीपे देवल, भाव दिवाली, लोको करे शुभ भावथी, ॥१८॥ छ? तपकर्या अंते, मोक्ष लीधुं शादी अनंते, मंगलकारी, शासननो जयजयकार छे, ॥१६॥ महावीर प्रभुनी वाणी, ए तो स्वर्गनी निशरणी, मुक्तिमार्गे जवानी, सिद्धि सडक छे ॥२०।। ओगणीशोने त्राणुं, आसो मासने प्रमाणो, दिवाली दिन गायां, महावीर केरां गुण गीतने ॥२१॥ मुनिराम विजयजी गावे, भक्तिभाव मनमां लावे, वीरना गुणो, गावाथी जयजयकार छे, ॥२२॥ (23) श्री महावीर जिन स्तवन (राग : चार दिवसनां चांदरडा) महावीरस्वामी रे, विनंती सांभलो, हुं छु दुःखीयो अपार, भवोभव भटक्योरे, वेदना बहु सही, चऊगतिमा बहुवार, ॥१॥ जन्म मरण-रे दुःख निवारवा, आव्यो हुं आप हजूर, सम्यग् दर्शनरे, जो मुजने दीयो, तो लहुँ सुख भरपुर, ॥२॥ रखडी रझलीरे, हुं अहीं आवीयो, साचो जाणी तुं एक, मुज पापीने रे प्रभुजी तारजो, तार्यां जेम अनेक ॥३॥ ना नहि कहीजोरे, मुजने साहिबा, हुं छु पामर रांक, आप कृपालुरे, खास दयाकरी, माफ करो मुज वांक, ॥४॥ भूल अनंतीरे, वार आवी हशे, माफ करो महाराज, श्री उदयरत्नरे लली लली विनवे, ब्राह्य ग्रहो राखी लाज, || महावीर० ।।५।। (24) श्री महावीर स्वामीजीनो थाळ (स्तवन) । माता त्रिशला बोलावे, जमवा कारणे, तमे चालो प्रभु प्यारावीरजिणंद, तमारा पितातो उभा छे वाट निहालतां रे, भोजन टाढां होवे, आवो परमानंद० ॥१॥ प्रभुजी आमलकी क्रिडा करवाने निकल्यां, माता उभी जुवे वीर कुंवरनी वाट, सखीयो त्रिशलाने तो ओलंभा देई रही रे, तुमे वेगे चालो, त्रण भुवनना नाथ ॥२॥ प्रभुजीए मुष्टिबले पटकीने पछाडीयोरे, भोरिंग खेंची नांख्यो रमण भूमीनी बार, प्रभुजीए देवना पिचाशनुं रुप बनावीयुं, प्रभुजीने खंधे लेई आकाशे ऊडी जाय ॥३॥ प्रभुजी नांहि धोई
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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