SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 380
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 331 मे मनमां धारी, मुजने लागे अती घणी प्यारी के. ॥७॥ राजुल कहे सुणो सैयर मारी, हुं तो नवभव केरी नारी, अने बीजो कोई मनमां न धारी, के जाणी शिवसुंदरी घणी प्यारी के. ॥८॥ जिनजीओ दान संवत्सरी दीg, भवि प्राणी, कारज सीधुं; लेई जान जादवजी पाछा वळिया, केवल पामी शिवसुख वरिया. ॥६॥ राजुल दान पुन्य नित्य करती, नेमनुं ध्यान ह्रदयमां धरती; संयम लई गिरनारे चडीयां के, तोड्यां अष्ट कर्मनां दळिया ॥१०॥ जगमां धन्य धन्य अह नरनारी; हुवा जन्म थकी ब्रह्मचारी; थया दंपति ओ व्रतधारी के, पाम्या शिव पदवी सुखकारी के. ॥११॥ अवो विंझणीयो जे कोई गाशे, तस घर मन वांछित सवि थाशे के; अमर विजय गुरु अणी पेरे बोले, नहि मारा नेम राजुल तोले के. ॥१२॥ (6) श्री नेमनाथ जिन स्तवन दर्शन दीठे दिलडां ठरीया, वाल्हम वलतां वली उकलीयां, ध्रुमें आंसु भरिया नयणां, श्यां कहुं वयणां रे, वाल्हो मारो मोजी मनडां केरो, सुणज्यो सयणां रे, नेम विण न भजु नाथ अनेरो. ॥१॥ पिउडे प्रेम नजर नवी प्रेरी, सुखभर सुरत रति नवि खेलि, वाल्हे मारे भर जोवनमां मेहली, परण्या पहेली रे. ॥२॥ हां रे वाल्हे मुख कंसार न घाल्यो, वाल्हे मारो हाथेवालो नवी झाल्यो, निपुण थईने नेह न पाल्यो, शुं रथ वाल्यो रे. ॥३॥ हां रे वाल्हा नाथ विहुणा रहेता, कुलवट सतीय पणुं शिर वहेतुं, हां रे नीत नीत ओलंभा सहेता, हवे नथी कहेतां रे. ॥४॥ वाल्हो मारो शिवरमणीनो कामी, अलवेसर आतम विशरामी, नकरुं खामी सेवा पामी अंतरजामी रे. ॥५।। इम चिंतवती राजुलबाला, प्रभुजी पाम्या ज्ञान विशाला, सहसावन संयम पिऊ हाथे, विचरी साथे रे. ॥६॥ पंचावन दिन आप कमाणी, प्रभु आपे जाणी पट्टराणी, दंपती दोय मुक्ति पद पावे, क्षायिक भावे रे. ॥७॥ लोकोत्तर प्रभु प्रेमने पाले, दुग उपयोगे वस्तु निहाळे, जगत उपाधि भवने टाळे, सौख्य विशाले रे. ॥८॥ जससुख अंत जगत नवी मावे, योगीश्वर पण जेहने ध्यावे, श्री शुभवीर--प्रभु गुण गावे, उल्लसित भावे रे. ॥६॥ (7) श्री नेमनाथ जिन स्तवन सुणो सहियर मोरी, जुवो अटारी, आवे छे नेमजी श्याम, शीवादेवी नो
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy