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________________ 299 तो शिवसुंदरीनो रसीयो रे, मारा नयणा मांहे वसीयो रे..(३) में तो सगपण एहशुं किधुं रे, हवे सघळु कारज सिध्युं रे, ए तो जीवन अंतरजामी रे, निरंजन ए बहु नामी रे..(४) घणुं शुं एहने वखाणु रे, हुं तो जीवनो जीवन जाणुं रे, घणुं जे एहने मलशे रे, ते तो माणसमांथी टळशे रे..(५) मनडां जेणे एहशुं मांड्यां रे, तेणे ऋद्धिवंता घर छांड्या रे, आगे जेणे एह उपाश्यो रे, तेणे शिवसुख करतल वास्यो रे...(६) आशिक जे एहना थाय रे, तेणे संसारमा न रहेवाये रे, गुण एहना जे घणा गाशे रे, ते तो आखर निर्गुण थाशे रे, रे..(७) में तो मांडी एहशुं माया रे, मने न गमे बीजानी छाया रे, वाचक 'उदयरल' एम बोले रे, कोई न आवे एहने तोले रे..(८) (11) श्री शान्ति जिन स्तवन (राग : मेरा जीवन....) शांति जिनेश्वर साहिबा रे, शांति तणो दातार, अंतरजामी छो माहरा रे, आतमना आधार.... शांति० (१) चित्त चाहे प्रभु चाकरी रे, मनचाहे मळवाने काज (२) नयन चाहे प्रभु निरखवा रे, द्यो दरिशन महाराज... शांति० (२) पलक न विसरो मन थकी रे, जेम मोरा मन मेह, एक पखो केम राखीयो रे, राज कपटनो नेह... शांति० (३) नेह नजर निहाळतां रे, वाधे बमणो वान, अखूट खजानो प्रभु ताहरो रे, दीजीए वांछित दान... शांति० (४) आश करे जे कोई आपणी रे, नवि मूकीए निराश, सेवक जाणीने आपणो रे, दीजीए तास विलास... शांति० (५) दायकने देतां थकां रे, क्षण नवि लागे वार, काज सरे निज दासनां रे, ए न्होटो उपकार... शांति० (६) एवू जाणीने जगधणी रे, दिलमां धरजो प्यार, रूपविजय कविरायनो रे, मोहन जयजयकार... शांति० (७) (12) श्री शान्ति जिन स्तवन (राग : एक, दो, तीन, चार, पांच) शांति जिनेश्वर सांभळोजी, मुज मननी एक वातलडी, रात-दिवस हुं विनवू जी, शरणुं मांगु साक्षातजी, शरणुं मांगु साक्षात् जिनेश्वर मुज पापीने तार... मुजपापी० (१) साचा खोटा में कर्यां जी, कीधां पाप अपारजी, महेर करी मने तारजोजी, टाळो पाप परिताप० (२).... (२) स्वारथीओ संसार छे
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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