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________________ 273 (2) श्री श्रेयांस जिन स्तवन (राग -- पनघट पाणी ग्याता) श्रेयांस जिन सुण साहिबा जिनजी, दास तणी अरदास के दिलडे मारे, के मनडे मारे, वसी रह्या प्रभुजी दूर रह्यां नही जाण्यु रे पास, मृगने ज्यु मधुर आलाप के मोरने० (२) पीछानो कलाप के दिलडे मारे, के मनडे मारे वसी रह्या प्रभुजी (१) हे.... जलथल महियल जोवतारे, वाला चिंतामणी जड्यो हाथ, उणप शी हवे माहरे रे, नीरख्यो नयणे नाथ.... के दिलडे० (२) हे....चरणे तेहने विलगीयेरे जेहथी सीजे काज, फोगट शुं फेरा तिहारे, पूछे नहि तसनाम....के दिलडे० (३) हे.... कूडो कलियुग छोडिने रे व्हाला आप रह्यां एकान्त, सगा-संबंधी राखे घणां रे, पर राखे ते संत.... के दिलडे० (४) हे.... देव घणा में देखीया रे, व्हाला आडंबर पटराय, नैगम नहीं पण सोडथी रे, आछा पसारे पाय,.... के दिलडे० (५) हे.... सेवकने निवाजीए रे व्हाला, तो तिहां स्थाने जाय, निपट निरागी होवतो रे स्वामीपणुं किम थाय,.... के दिलडे० (६) हे....में तो तुजने आदर्यो रे, व्हाला भावे तुं जाण जाण, 'रूप विजय' कविरायनो रे, 'मोहन' वचन प्रमाण.... के दिलडे० (७) (3) श्री श्रेयांस जिन स्तवन (राग - विषधरीने विषधर सूतो) तारक बिरुद सुणी करी, हुं आवी ऊभो दरबार.... (२) श्री श्रेयांसजिन साहिबा हुं आवी ऊभो दरबार....(२) प्रभु घणी ताण न कीजीये, मुज उतारो भवपार,....तारक० (१) काळ अनादि दूषण दाखंता, दातार पणुं किम थाय, जो विण आलंबन तारीये, तो जग सघळो जश गाय....(२) बाळकने समजाववा कहेशो, भोळामणीनी वात पण हठ लीधी मूकीश नहि, विण तारे त्रिभुवन तात, (३) जो मन तारण- अछे तो, ढील तणुं शुं काम, चातक निर्मुख दूषणो थई, मेघघटा जग श्याम....(४) तुज दरिशणथी ताहरो, हुं कहेवाणो जगमांही, हवे मुज कोण सोपी शके, बळियानी झाली बांही....तारक० (५) विष्णुकुमार वालेसरु, प्र. सिंह-पुरीनो राय, लाख चोराशी वर्षतुं प्रभु, पाळ्युं पूरण आय,....तारक० (६) धनुष एंशी तणुं शोभतुं, खड्गी लंछन जगदीश, हरख धरीने विनवू श्री सुमतिविजय कवि शीस....तारक० (७)
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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