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________________ 228 ओ...॥१६॥ कहेशो तुमे जिणंद रे, भक्ति नथी तेहवी, तो ते भक्ति मुजने दियो ओ...॥२०।। वळी कहेशो भगवंत रे, नही तुज योग्यता, हमणां मुक्ति जावा तणीओ...॥२१॥ योग्यता ते पण नाथ रे, तुमहीज आपशो, तो ते मुजने दीजीओ ओ...।।२२।। वळी कहेशो जगदीश रे, कर्म घणां ताहरे, तो तेहिज टालो पराओ...॥२३॥ कर्म अमारा आज रे, जगपति वारवा, वळी कुण बीजो आवशे अ...॥२४॥ वळी जाणो अरिहंत रे, अहने विनती, करता आवडती नथी ओ...॥२५॥ तो तेहीज महाराज रे, मुजने शीखवो, जिम ते विधि शुं विनवू ओ...॥२६॥ माय ताय विण कुण रे, प्रेमे शीखवे, बालक ने कहो बोलवू ओ...॥२७|| जो मुज जाणो देवरे, ओह अपावन, खरडयो छे कली कादवे ओ...॥२८॥ किम लेवू उत्संग रे, अंग भर्यु ओहy, विषय कषाय अशुचिरों ओ...॥२६॥ तो मुजने करो पवित्र रे, कहो कुण पुत्रने, विण मावित्र पखालशे ओ...॥३०॥ कृपा करी मुज देव रे इहालगे आणीयो, नरक निगोदादिक थकी ओ...॥३१॥ आव्यो हवे हजूर रे ऊभो रहयो, सामु शे जुओ नहीं अ...॥३२॥ आडो मांडी आज रे, बेठो बारणे, मावित्र तुमे मनावशो अ...॥३३॥ तुमे छो दया समुद्र रे, तो मुजने देखी दया नथी शे आणता अ...॥३४।। उवेखसो अरिहंत रे, जो अणी वेळा, तो माहरी शी वले थशे ओ...॥३५॥ ऊभा छे अनेक रे, मोहादिक वैरी, छल जूओ छे माहरा अ...॥३६॥ तेहने वारो वेगे रे, देव दया करी, वळी वळी ते विनवू अ...॥३७॥ मरुदेवी निज माय रे, वेगे मोकली, गज बेसाडी मुक्तिमां रे...॥३८॥ भरतेश्वर निज नंद रे, कीधो केवली, आरीसो अवलोकता अ...॥३६॥ अठ्ठाणुं निज पुत्र रे, प्रतिबोध्या प्रेमे, झुज करता वारीया अ...॥४०॥ बाहुबलीने नेटरे, नाण केवल तुमे, स्वामी सामुं मोकल्युं ओ...॥४१॥ इत्यादिक अवदात रे, सघळां तुम तणां, हुं जाणुं छु मुलगां अ...॥४२॥ माहरी वेला आज रे, मौन करी बेठा, उत्तर शे आप्यो नहींओ...॥४३॥ वीतराग अरिहंत रे, समता सागरुं, माहरा ताहरा शुं करो ओ...॥४४॥ अकवार महाराज रे, मुजने श्रीमुखे, बोलावो सेवक कहीओ...॥४५|| अटले सिध्या काज रे, सघलां माहरा, मनना मनोरथ सवि फल्यां अ...॥४६।। खमजो मुज अपराध रे, आसंगो करी, असम जस जेविनव्युं अ...॥४७॥ अवसर पामी आज रे, जो नवि विनवू, तो पस्तावो
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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