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________________ 225 संयो में सिध्यां सघळा काज.... ( २ ) धीरविमल कविराजनो, नय प्रणमे श्री जिनराज.... में ० (26) श्री आदिनाथ जिन स्तवन (राग ऊंची ऊंची तारंगा) नमो नमो श्री आदिजिणंदने, (२) हुं करूं रे - त्रिविधे प्रणाम रे, पंचाभिगमे नमन करुं हुं, केवलज्ञानी नाम, भाले धरी ललाम । प्रभुजी प्यारा रे... पुण्य थकी में दीठा प्राण आधारा रे । सरस सुधाथी मीठा... प्रभुजी ० १ तुं निष्कलंक अने निर्मोही, तुं अद्रोही उदासी, मारा मनमांहेथी कहो केम, हवे फरी जासी रे हां जासी,... प्रभुजी० २ जीम पंकजमां मधुकर पेसे, तिम मुज मनमां पेठा, तुम दरिसण पामी नविहरखे, ते निगुणाने धीठा, (२) प्रभुजी० ३ हुं निर्गुणी वळी रे पापीणी, लाखेणी तुम सेवा, पामींय तो अनुपम भाग्ये, जेम भुख्या वर मेवा (२) प्रभुजी ० ४ भवोभव ताहरी आणा सुरगवी, होजो अविचल भावे, तेहथी गोरस समकीत शुद्धा, ज्ञानने चरणे जमावे..... प्रभुजी० ५ जीम धृत आप स्वभावे निर्मल, रस शोध्योनवि जाये तिम तुम हेते निज स्वरूप ते, निरावरण प्रगटावे... प्रभुजी० ६ इन्द्र अनंता जो समकाळे, भक्ति करे तोरी कबही, तो पण ते गुण तुम सम नावे, तो हुं दुर्गुणी केही रे... प्रभुजी० ७ प्रभुनी गुण स्तुति करवाथी ज्ञानविमल मति जागी जगचिंतामणी जिन पाम्याथी, भवनी भावठ भांगी रे... ( २ ) ... प्रभुजी०८ ( 27 ) श्री आदिनाथ जिन स्तवन आदि जिणंद भेट्या, आनंद आज मेरे, पुरवनां पुन्य जाग्या, जिनराज आज मारे, आदि० (१) करुणा निधि में जोया, भमतां नहीं संसारे, जोया तो भावशून्ये, सर्या न काज मारे आदि० (२) आत्मानी भक्ति जागी, पूज्यो तरफ ज्यारे, कल्याण भाव योगे, स्वात्माभिमुखी त्यारे आदि० (३) साचा जे तत्त्व णनी, श्रद्धा जो जीव धारे, दयालु देव दयाथी, समकित थाय त्यारे आदि० (४) काम क्रोध लोभ मोहादी, पड्या छे मारी लारे, अंतर रीपुनी पीडा, तुम वीण कोण वारे आदि० (५) आव्यो छु नाथ द्वारे, करजे मने किनारे, विश्वेश तुम बिना, बीजो ही कोण उगारे आदि० (६) सहज राज लेवा, उदयरत्न धारे, जे होय भवसागरमां, तारक तेज तारे आदि० (७)
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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