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________________ 192 नायक, हा रे तुमे सेवो शिवसुखदायक, ए गिरिराजने नयणे नीहाळी, हां रे तुम सेवो अविधिदोष टाळी रे वि० (२) मुक्ता सोवन फूले वधावी, हां रे नमी पूजी भावना भावे, कांकरे कांकरे सिद्ध अनंता, हां रे संभारो पागे चढंता रे वि० (३) आदि अर्जित शांति गौतम केरा, पहेलां पगलां पूजो भलेरा रे आगे धोळी परब ट्रंके चढीए, हां रे तीहां भरत चक्रीपद... नमीए रे वि० (४) नीली परब अंतराले आवे, हां रे नमी वरदत पगलां सोहावे रे, आदिथुभनमि कुंडकुमारा, हींगळाज हडे चढो प्यारा रे वि० (५) तिहां कलिकुंड नमी सुपास, हां रे चढो मान मोडी उल्लासे रे, गुणवंत गिरिना गुण गाई, हां रे छालाकुंडे विसामो भाई रे वि० (६) तिहांथी महागालीपंथे धसीये, हां रे प्रभुगढ देखीने उल्लसीए रे । नमिए नारद अईमुतानी मुरती, द्राविड वारिखील्ल सुरती रे वि० (७) तीरथ तुम देखी सुख जागे, हारे नीरखो हेमकुंडनी आगे रे, राम-भरत-शुक सेलग स्वामी, हारे थावच्चा नमुं शिरनामी रे. वि० (८) भुखणकुंड वाडी जोई वंदो, हां रे सुकोशल मुनीपद सुखकंदो रे, आगळ हनुमंत वीर कहावे, हां रे तीणथी बे वाट जवाए रे वि० (६) डाबी दिशा रामपोळ हुरजी हां रे सामी दीशे नदी शेजूंजी रे, जाता जमणी दीशे वंदो भाळी, हां रे मुनिजाली मयाली उवयाली रे वि० (१०) तिहांथी डाबी दीशी सामा सोहावे, हां रे नमो देवकी षटसुत भावे रे। इम शुभ भाव थकी उत्कर्षे, हां रे रामपोळमां पेसीए हरखे रे वि० (११) तीसरे पोळे वाघण भाळो, हां रे जेह कीधी शाल शृंगालो रे । धाई सोपान चढी अति हरखी, हां रे जई वाघणपोळे नीरखो रे, स्थिरताए शुभजोग जगावो, हा रे कहे अमृत भावना भावो रे विमलाचल व्हाला वारु रे, भले भवियण भेटो भावमां....(१२) (63) श्री सिद्धाचल स्तवन (राग : आंखडी मारी प्रभु हरखाय छे) प्रीतलडी बंधाणी रे विमल गिरिंदशुं, नीशीपती नीरखी हरखे जेम चकोरजो, कमलागौरी हरी हरथी राची रहे, जलधर जोई मस्त बने वन मोरजो, प्री० १ आदिश्वर अलवेश्वर आवी समो सर्या, पून्य भूमिमां पूर्व नवाणुं वारजो, अरिहंताश्री अजितेसर शान्ति नाथजी, रह्यां चोमासु जाणी शिवपुर दारजो, प्री० २ सूर्य वंसी सोमवंसी यादव वंसना, नृप गुण पामी
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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