SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 206
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 157 ( 12 ) श्री सीमंधर जिन स्तवन सिमंधर करजो मया, धरजो अविहड नेह रे, अमचा अवगुण देखीने, देखाडो रखे छेह रे, सि० (१) हैयुं जावे माहरु, खिण खिण आवो छो चित्त रे, पळ पळ इच्छे रे जीवडो, करवा तुमशुं प्रित रे, (२) भक्ति तुमारी सदा करे, अणहुंता सुर क्रोड रे, जग जोता को नवि जडे, स्वामी तुमारी जोड रे, सि० (३) दक्षिण भरते अमे वस्या, पुकखलवई जिनराय रे, दिसे छे मळवा तणो, ए मोटो अंतराय रे सि० (४) देवे न दीधी पांखडी, किणविध आवुं हजूर रे, तो पण मानजो वंदना, नित्य उगमते सूर रे, सि० (५) कागळ लखवो रे कारमो, किजे महेर अपार रे, विनती ए दिल धारीए, आवागमन निवार रे, सि० (६) देव दयाल कृपाल छो, सेवकनी करो सार रे, एम उच्चरे, स्वामी मुज न विसार रे सिमंधर करजो मया .... ( ७ ) ( 13 ) श्री सीमंधर स्वामीना स्तवनो उदयरत्न तारी मूरति मन मोह्युं रे, मनना मोहनीया, तारी सूरतिए जग सोह्युं रे, जगना जीवनीया, तुम जोतां सवि दुर्मति विसरी, दिन रातडी नव जाणी, प्रभु गुण गण सांकळशुं बांध्युं, चंचल चित्तडुं ताणी रे । म० १ पहेलां तो एक केवल हरखे, हेजाळु थई हळियो, गुण जाणीने रूपे मिलियो, अभ्यंतर जई भळियो रे, म० २ वीतराग इम जस निसुणीने, रागी राग करेह आव अरूपीराग निमित्ते, दास अरूप धरेह रे, म० ३ श्री सीमंधर तुं जगबंधु, सुंदर ताहरी वाणी, मंदर भूधर अधिक धीरज धर, वंदे ते धन्य प्राणी रे, म० ४ श्री श्रेयांस नरेसर नंदन, चंदन शीतल वाणी, सत्यकी माता वृषभ लंछन प्रभु, ज्ञानविमल गुण खाणी रे, मनना मोहनीया....५ ( 14 ) श्री सीमंधर जिन स्तवन (सिद्धारथना रे नंदन विननुं) श्री सीमंधर स्वामि तुम तणा, चरण नमुं चित्त लाय | अंजलि जोडी अरिहंत विनवुं, तुम विण रहण न जाय, ए अवधारो जिनवर विनती, १ श्री सीमंधर स्वामी । विरहनी वेदना वहेली निगमुं, तृप्ति न पामुं नामि । ए० २ जनम अनंता हो श्री जिन हुं भम्यो, अवर अवर अवतार, पुन्य
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy