SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 93 जाणी, जास पसाए विद्या लहे प्राणी, ते सरस्वती मुझ देजो वाणी, वाचक जश सुखखाणीं ४ (66) श्री धर्मनाथ जिन स्तुति धर्म जिणंद परमपद पाया, सुव्रता नामे राणी जाया, सुरनर मनडे भाया, पण चालीश धनुष्यनी काया, पंचमी दिन ते ध्याने ध्याया, तव मे नव निधि पाया, १ नेमि सुविधिना जन्म कहीजे, अजीत अनंत संभव शीवलीजे, दिक्षा कुंथु ग्रहीजे, चंद्र च्यवन संभवनाण सुणीजे, तीहुं चोवीशी एम जाणीजे, सहु जिनवर प्रणमिजे...२ पंच प्रकारे आगम भाखे, जिनवर चंद सुधारस चाखे, भविजन हैये राखे, पंच ज्ञान तणो विधि दाखे, पंचमी गतिनो मारग भाखे, तेहथी सविदुःख नाशे,...३ जिन भक्ता प्रज्ञप्ती देवी, धर्मनाथ जिनपद प्रणमेवी, किंनरसुर संसेवी, बोधी बीज शुभ दृष्टि लहेवी, नय विमल सदा मतीदेवी, दुश्मन विघ्न हरेवी....४ __(67) श्री शांतिनाथ जिनेन्द्र स्तुतिः राजन्त्या नवपद्मरागरुचिरैः, पादैर्जिताष्टापदा,-द्रेङकोपद्रुतजातरुपविभया, तन्वार्य धीर क्षमाम्; बिभ्रत्यामरसेव्यया जिनपते, श्री शान्तिनाथाङस्मरो,द्रेकोपद्रुत जातरुप विभया,इतन्वार्यधी रक्ष माम्. १ ते जीयासूरविद्विषो जिनवृषा, मालां दधानां रजो, राज्या मेदुरपारिजातसुमनः, संतानकान्तां चिताः; कीर्त्या कुन्दसमत्विषेषदधि ये, न प्राप्तलोकत्रयी, राज्या मेदुरपारिजातसुमनः, संतानकान्ताचिताः, २ जैनेन्द्रं मतमातनोतुसततं, सम्यग्दृश्यां सद्गुणा, लीलाभं गमहारी भिन्नमदनं, तापापह्यद्यामरम्; दूर्निभेदनिरन्तरान्तरतमो, निर्ना शि पर्युल्लसत्,ल्लिलाङभंगमहारीभिन्नमदन,न्ता-डप्रापह्यद्या मरम्, ३ दण्डच्छत्रकमडलूनि कलयन्, सब्रह्मशान्तिः क्रियात्,- सन्त्यज्याति शमि क्षणेन शमिनो, मूक्ताक्षमाली हितम्; तप्ताष्टापद-पिंण्डपिंगलरुचि,र्योङधारयन्मूढतां,संत्यज्यातिशमीक्षणेन शमिनो, मुक्ता-क्षमालीहितम्. ४ (68) श्री शान्तिनाथ जिन स्तुति सकल कुशलवल्लीपुष्करावर्तमेघो, मदनसद्शरुपः, पूर्णराकेन्दुवकत्रः;
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy